वाह रे पावर कार्पोरेशन अनुभवहीन प्रबन्धन के खिलाफ इन्जीनियरो और जूनियर इन्जीनियर ने खोला सयुंक्त मोर्चा लगाये भ्रष्टाचार के आरोप
लखनऊ 8 मार्च अनुभवहीन व अवैध रूप से विराजमान बडका बाबूओ के खिलाफ आखिर अभितन्ता संघ और जूनियर इन्जीनियर संगठन ने आज संयुक्त रूप से मोर्चा खोला जिसके कारण पहली बार सबसे बडे बडका बाबू आज बैक फुट पर नजर आये संगठनो ने प्रबंधन के साथ हुई बैठक मे प्रबंधन के ऊपर मुह दर मुह ईआरपी, स्मार्ट मीटर, बिजली खरीद आदि के विषय मे प्रबंधन पर भ्रष्टाचार का खुला आरोप लगया और जांच की माग भी की । जिसके जवाब मे बडका बाबू पूरी तरह से खामोश दिखाई दिये । उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहयोगी क्म्पनियो मे व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार भी समय समय पर सवाल उठाता रहता है जिसके कारण कुछ लोग के रातो की नीद भी उड जाती है चर्चित भ्रष्टाचारीयो व भ्रष्टाचार के खिलाफ अक्सर निष्पक्ष पत्रकारिता को कुछ लोग धमाके के दबाने की भी असफल कोशिश करते रहते है खैर ।
नवीनतम प्रकरण मे आज हम अध्यक्ष महोदय के सरक्षण प्राप्त कुछ अधिकारियो के बारे मे पाठको को से चर्चा करने जा रहे है कि शक्तिभवन मे बैठ किस तरह से ईमानदारी की चादर ओढ कर उल्लू सीधा किया जाता है वैसे तो चर्चा है कि अपर सचिव (द्वितीय) के पद पर मात्र एक तल नीचे यानि कि 6वे तल पर बैठे एक अभियन्ता जो कि अध्यक्ष महोदय के कृपा पात्र है वो 30 जून 2021 को सेवानिवृत्त भी हो चुके है उनको अपर सचिव के पद पर सविदा के माध्यम से नियुक्त कर कार्य करने की छूट दी गयी है और जनाब अपने समक्ष लाई गयी फाइलों का निस्तारण आज भी अपनी कलम से वैसे ही करते नजर आ रहे है जैसे कि सेवानिवृत्त होने से पहले करते थे और करे भी क्यू ना आखिर ईमानदारी की चादर जो ओढे है और बड़केबाबू के चहेते जो है पाठकों को बताते चले कि सूत्र बताते है कि महोदय के ऊपर मध्यांचल मे तैनाती के दौरान मुख्य अभियंता के पद रहते राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना मे गम्भीर वित्तीय आरोप लगे थे जिसके कारण पूर्व के बड़केबाबू ने इन्हें मुख्य अभियन्ता का पद छोडना पडा था फिर जादुई करिश्मे से जांच समिती मे मुख्य अभियन्ता बनने का सौभाग्य प्राप्त है गया । जनाब ने बडी ही ईमानदारी से वहा आखो मे तेल डाल कर काम कि वैसे तो लोग कहते है कि जानाब ने अपने ऊपर लगे गम्भीर अनिगमिताओ की अपनी जाच खुद ईमानदारी से कर के अपने को आरोपो मुक्त कर दिया व मामले को निस्तारित कर दिया कर दिया था इसे कहते है ईमानदारी और क्यो ना हो उत्तर प्रदेश के एक सुप्रसिद्ध बडका बाबू जो कि हाल ही मे सीबीआई की जाच के घेरे मे आये थे उनका वर्धस्त प्राप्त होने की भी चर्चा है वैसे तो निदेशकों के इंटरव्यू में भी जनाब की पैरवी उ प्र सरकार के सबसे ताकतवर भारतीय प्रसाशनिक सेवा के अधिकारी द्वारा भी की गयी थी जो कि इनकी मेहनत का मेहनताना था परन्तु इनके निदेशक बनाने का सपना चकना चूर हो गया । बाद मे ऐसी भी चर्चाए उडी थी कि प्रदेश के मुखिया यानि कि मुख्यमंत्री ने इसमे भ्रष्टाचार की सम्भावना होने के कारण निदेशकों के चयन की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था वैसे आज कल UPPCL की लगभग सभी कम्पनियों में निदेशकों का टोटा नजर आ रहा है उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के पास खुद कम्पनी की रीड हड्डी निदेशक वाणिज्य के बिना ही काम काज चलाया जा रहा है वैसे सूत्र बताते है कि बहुत से मुख्य अभियन्ता जो कि निदेशक बनाए जा सकते थे और उनकी प्रतिभा व अनुभव का पूरा फायदा उठाया जा सकता था उन्हो ने या तो समय पूर्व सेवानिवृत्त का आवेदन कर दिया है या सेवानिवृत्त ले कर या सेवानिवृत्त हो कर अपने घर जा चुके है परन्तु महत्वपूर्ण खाली पदो पर महोदय के चहेते सविदा कर्मी अवैध रूप से नियुक्ति व उनका पूरी शक्तियो के साथ काम करना समझ के परे है और कल हुए घटनाक्रम इस बात को दर्शाने के लिए पर्याप्त है पूरे पावर कार्पोरेशन मे इसी ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार का बोल बाला है और किस तरह का उत्पीड़न ऊपर से लेकर नीचे तक के कर्मचारियो अधिकारियो का हो रहा है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण कल हुई बैठक मे बडका बाबूओ की खामोशी का घटनाक्रम बता रहा है वैसे बडका बाबू की प्रतिक्रिया का इन्तजार है । खैर
युद्ध अभी शेष है