एक झलक

आत्मसुधार से ही समाज सुधार सम्भव है

7दिसंबर2021

ज्ञानी किसी को सलाह नहीं देता, वह आत्मसुधार करता है आत्मसुधार से ही समाज सुधार सम्भव है। दूसरों को अपनी बात मानने के लिये बाध्य करना सबसे बड़ी अज्ञानता है। हर आदमी एक दूसरे को समझाने में लगा हुआ है हम सबको यही बताने में लगे हैं कि तुम ऐसा करो, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था तुम्हारे लिये ऐसा करना ठीक रहेगा।

ये सब अज्ञानी की अवस्थायें हैं ज्ञानी की नहीं, ज्ञानी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह किसी को सलाह नहीं देता, वह मौन रहता है, मस्ती में रहता है, वह अपनी बात को मानने के लिये किसी को बाध्य नहीं करता है। इस दुनिया की सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि हर आदमी अपने आपको समझदार और चतुर समझता है और दूसरे को मूर्ख सम्पूर्ण ज्ञान का एक मात्र उद्देश्य अपने स्वयं का निर्माण करना ही है बिना आत्म सुधार के समाज सुधार किंचित संभव नहीं है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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