एक झलक

इस स्थान पर गिरा था राहु का कटा हुआ सिर, भगवान शिव के साथ होती है राहु की पूजा

1अगस्त 2023
उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है. देश के अधिकतम तीर्थ स्थान उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर मौजूद हैं. यहां भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवन शिवजी और असुर राहु की पूजा होती है. मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को राहु ने धोखे से पी लिया था तो उसे अमर होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था.

ऐसी मान्यता है कि उसका सिर उत्तराखंड की इसी जगह पर गिरा था. जहां उसका सिर गिरा वहां मंदिर बनाया गया और भगवान शिव के साथ राहु को स्थापित किया गया. पैठाणी के इस मंदिर के बारे में जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है. राहु से संबंधित दोष दूर करने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और राहु को मूंग की खिचड़ी का भोग लगाते हैं. यहां के भंडारे में भी मूंग की खिचड़ी को ही प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है. इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है. मंदिर की दीवारों पर राहु के कटे सिर के साथ-साथ भगवान विष्णु के सुदर्शन की कारीगरी भी की गई है.

एक और धारणा के अनुसार मान्यता है कि आदिकाल में राहु ने अपने कष्टों से मुक्ति के लिए स्वयं इस स्थान पर शिव लिंग स्थापित कर शिव भगवान की तपस्या की थी. फलस्वरुप भगवान भोले प्रसन्न हुए थे. माना जाता है कि आज भी राहु इस मंदिर में भगवान शिव का तप कर रहे हैं. यहां राहु से पीड़ित हैं तो पैठाणी स्तिथ राहु ईश्वर मंदिर में आकर अपना दोष दूर कर सकते हैं.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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