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ऊर्जा निगमों के चेयरमैन के हठवादी रवैये के चलते प्रबन्धन और संघर्ष समिति के मध्य हुई वार्ता विफल, ऊर्जा मंत्री से टकराव का वातावरण में प्रभावी हस्तक्षेप की अपील

लखनऊ 26नवंबर :ऊर्जा निगमों के चेयरमैन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति,उप्र के मध्य आज हुई वार्ता चेयरमैन के हठवादी रवैये के चलते विफल हो गयी। वार्ता में 15 सूत्री मांग पत्र पर एक भी मांग पर चेयरमैन द्वारा कोई सार्थक आश्वासन न देने के कारण वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला और वार्ता विफल रही। आज की वार्ता में प्रबन्धन की ओर से चेयरमैन एम देवराज और प्रबन्ध निदेशक पी गुरू प्रसाद उपस्थित थे।
संघर्ष समिति ने चेयरमैन के हठवादी रवैये के चलते वार्ता विफल होने के बाद ऊर्जा मंत्री मा. श्री अरविन्द कुमार शर्मा जी से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे ऊर्जा निगमों में व्याप्त भय का वातावरण समाप्त हो और बिजली कर्मियों की न्यायोचित समस्याओं का वार्ता के माध्यम से समाधान हो सके। बिजली कर्मी मा. मुख्यमंत्री जी के लक्ष्यों के अनुरूप आबाध बिजली आपूर्ति बनाये रखने में कार्यरत हैं और ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के रवैये के कारण उन्हें आन्दोलन पर जाने हेतु मजबूर होना पड़ रहा है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने यह कहा कि मांग पत्र प्रबन्धन को 27 अक्टूबर को सौंप दिया गया था किन्तु 01 माह बाद आज वार्ता के लिए बुलाया गया और किसी भी मांग पर चेयरमैन ने कुछ भी आश्वासन नहीं दिया। चेयरमैन वार्ता के दौरान पावर कारपोरेशन के घाटे और कम राजस्व वसूली का हवाला देते रहे। इस पर संघर्ष समिति की ओर से यह कहा गया कि 06 अक्टूबर 2020 को मा. मंत्रिमण्डल उपसमिति और संघर्ष समिति के मध्य यह लिखित समझौता हुआ था कि सुधार हेतु प्रबन्धन प्रतिमाह संघर्ष समिति के साथ बैठक करेगा और संघर्ष समिति सुधार हेतु पूरा सहयोग करेगी। संघर्ष समिति ने कहा कि समझौते के अनुरूप 05 जनवरी 2021 को सुधार कार्यक्रमों पर एक बैठक हुई जिसमें संघर्ष समिति ने कई रचनात्मक सुझाव दिये थे किन्तु मौजूदा चेयरमैन ने अपने पूरे कार्यकाल में संघर्ष समिति के बार-बार स्मरण दिलाने के बावजूद सुधार कार्यक्रमों पर एक भी बैठक नहीं की। ऐसे में सुधार का बहाना लेकर बिजली कर्मियों की वर्षों से लम्बित समस्याओं का समाधान न करने का बहाना उचित नहीं है।
संघर्ष समिति ने चेयरमैन को स्पष्ट बता दिया कि आन्दोलन उनका उद्देश्य नहीं है अतः प्रबन्धन को पलायन करने के बजाय वार्ता की मेज पर बैठ कर समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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