पूर्वांचल

काशी में बसंत पंचमी को बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव परंपरागत तरीके से मनाया जायेगा

वाराणसी 24जनवरी :काशी में बसंत पंचमी गुरूवार को बाबा विश्वनाथ के तिलक का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर होगा।
लोकमान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिव-विवाह के पुर्व बंसत पंचमी पर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया गया था। काशीवासी परंपरानुसार तिलक की रस्म पूरी करते है। गुरूवार को महंत आवास पर भोर में मंगला आरती के बाद परंपरानुसार दिनभर तिलकोत्सव के लोकाचार संपादित होगें। ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक कर विशेष पुजनोपरांत फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग अर्पित किया जायेगा। इस दौरान महिलाओं द्वारा मंगल गीत होगा। सायंकाल भक्तों को बाबा विश्वनाथ (राजसी-स्वरूप) दूल्हा स्वरूप में दर्शन देगें। सायंकाल काशीवासी परंपरानुसार शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की रस्म पूरी करेगें। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर समाजसेवी केशव जालान काशीवासीयों की ओर से बाबा को तिलक चढायेगें। तिलकोत्सव की शोभायात्रा महंत आवास पहुंचने पर महंत डॉ.कुलपति तिवारी के सानिध्य में तिलकोत्सव की रस्म पूरी की जाएगी।

महंत डॉ कुलपति तिवारी ने बताया बसंत पंचमी गुरूवार को सायंकाल बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव टेढीनिम महंत आवास पर होगा। बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के पुर्व भोर 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती के साथ आयोजन की शुरुआत होगी। 06:00 से 08:00 बजे तक ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक करने के बाद बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया जायगा। दोपहर भोग आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा का विशेष राजसी श्रृंगार के बाद सायंकाल 5:00 बजे से प्रतिमा का दर्शन श्रद्धालुओं को होगा। 7:00 बजे लग्नानुसार बाबा का तिलकोत्सव किया जायगा।

26जनवरी दिन गुरुवार को होने वाले तिलकोत्सव के लिए बाबा को दूल्हे के परिधान धारण कराए जाएंगे। बाबा को खादी के परिधान धारण कराए जाएंगे। डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि महादेव के तिलक की कथा राजा दक्षप्रजापति से जुड़ी है। शिवमहापुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण और स्कंदपुराण में अलग-अलग कथा संदर्भों में महादेव के तिलकोत्सव का प्रसंग वर्णित है। दक्षप्रजापति उस समय के कई मित्र राज-महाराजाओं के साथ कैलाश पर जाकर भगवान शिव का तिलक किया था। उसी आधार पर लोक में इस परंपरा का निर्वाह किया  जाता है। काशी में इस वर्ष इस परंपरा के निर्वहन का 358वां वर्ष है।  सायंकाल 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिसमें पूर्वांचल के कई जाने माने कलाकार शामिल होंगे। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पढ़ रहा हैं अत भारत वर्ष का अमृत महोत्सव भी है, दोनो को एकसाथ मनाया जाएगा।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *