एक झलक

गीता जयंती एक प्रमुख पर्व है

01दिसम्बर2021

गीता जयंती एक प्रमुख पर्व है हिंदू पौरांणिक ग्रथों में गीता का स्थान सर्वोपरि है।

गीता ग्रंथ का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में हुआ था महाभारत के समय श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को ज्ञान का मार्ग दिखाते हुए गीता का आगमन होता है इस ग्रंथ में छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में संचित ज्ञान प्रत्येक मनुष्य के लिये बहुमूल्य है।

कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोSस्त्वकर्मणि ||

मनुष्य के हाथ में केवल कर्म करने का अधिकार है फल की चिंता करना व्यर्थ है

प्रश्न उठता है कि क्या होता है यदि कर्मफल की चिंता करते हैं

जैसे ही हम किसी कर्म के लिये सोचते हैं वैसे ही कर्म फल मन में यह द्विविधा “कहीं सफलता न मिली तो ” उत्पन्न करना शुरू कर देता है और यह द्विविधा हमारे उत्साह को कम करने लगती है और हम असफल हो जाते हैं I

इसलिए जब इच्छा और संकल्प सत्य हो तो कर्म करने की विधि का चिंतन मनन करने के पश्चात अडिग होकर अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिये जुट जाइए और लक्ष्य प्राप्त होने तक डटे रहिए कर्मफल चिंता की वस्तु नहीं बल्कि प्राप्त करने की वस्तु है यही इस श्लोक का आशय है

स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुखारबिंद से कुरुक्षेत्र की धरा पर श्रीमद्भगवदगीता का उपदेश दिया

गीता का ज्ञान गीता पढ़ने वाले को हर बार एक नये रूप में हासिल होता है मानव जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है जिसकी व्याख्या गीता में न मिले बहुत ही साधारण लगने वाले हिंदू धर्म के इस पवित्र ग्रंथ की महिमा जितनी गायी जाये उतनी कम है किसी भी धर्म में ऐसा कोई ग्रंथ नहीं है जिसके उद्भव का जिसकी उत्पति का दिन महोत्सव के रूप में मनाया जाता हो एकमात्र गीता ही वह ग्रंथ है जिसके आविर्भाव के दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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