विदेश

चीन ने लद्दाख को बताया अपने पश्चिमी भूभाग का हिस्सा, जताई नाराजगी

बीजिंग15 दिसंबर :कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चीन ने कहा है कि वो भारत के फैसले को स्वीकार नहीं करता है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा- इस फैसले का बीजिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ता। भारत-चीन बॉर्डर का पश्चिमी हिस्सा हमेशा से चीन का रहा है।

चीन ने आगे कहा- हमने कभी भी भारत के एकतरफा और अवैध तौर पर स्थापित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है। भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये सच्चाई नहीं बदल सकती कि सीमा का पश्चिमी हिस्सा चीन का है। इससे पहले मंगलवार को चीन माओ निंग ने कश्मीर मामले पर कहा था- भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद चला रहा है। इसे शांतिपूर्ण तरीके से UNSC के प्रस्तावों के तहत सुलझाना जरूरी है। चीन ने कहा- दोनों पक्षों को बातचीत और चर्चा के जरिए मसले को सुलझाना चाहिए ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाई जा सके।

2019 में चीन ने आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया था

भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। तब चीन ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर भारत का फैसला चीन को स्वीकार नहीं है और वो लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के खिलाफ है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद चीन ने अपने सहयोगी पाकिस्तान की तरफ से औपचारिक रूप से आपातकालीन बैठक बुलाने के बाद UNSC में इस मुद्दे पर बंद दरवाजे के पीछे चर्चा करने को कहा था। दरअसल, 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। SC ने कहा था कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। राष्ट्रपति को यहां के फैसले लेने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही राज्य में सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भी दिया गया है।

आर्टिकल 370 हटने के एक साल बाद हुई थी गलवान झड़प

2019 में आर्टिकल 370 हटने के ठीक एक साल बाद 2020 में भारत-चीन के बीच गलवान झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन इसे लगातार छिपाता रहा। गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। साथ ही, इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था।

पेंटागन की रिपोर्ट में दावा- लद्दाख के पास सड़कें, हेलीपैड बना रहा चीन

इससे पहले अक्टूबर में अपनी एक रिपोर्ट में पेंटागन ने दावा किया था कि चीन ने 3 कम्बाइंड-आर्म्स ब्रिगेड (CAB) सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर के पास भी तैनात किए हैं। इसके अलावा इन्हें उत्तराखंड और हिमाचल के पास मौजूद LAC पर भी तैनात किया गया है।पेंटागन ने यह भी बताया है कि चीन ने डोकलाम के पास भी जमीन के नीचे स्टोरेज फैसिलिटीज बनाई हैं। इसके अलावा LAC के तीनों सेक्टर में नई सड़कों का भी निर्माण किया गया है। पैंगोंग झील पर एक दूसरा ब्रिज भी बनाया है। करीब एक हफ्ते पहले आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन की सेना लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक LAC के उस पार गांव बसाने के नाम पर सैन्य अड्‌डे बना रही है। इन गांवों का इन्फ्रास्ट्रक्चर इस तरह से बनाया जा रहा है कि इनका इस्तेमाल सैन्य अड्डों के रूप में किया जा सके।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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