ताजमहल मामले की PIL पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता लगायी फटकार
लखनऊ 12मई: ताजमहल परिसर के 20 से अधिक बंद कमरों को खोलने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘क्या हम यह तय करने आए हैं कि ताजमहल किसने बनवाया? कल आप जज के चैंबर के अंदर जाने के लिए कहेंगे’.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि, “आपके पास जिस विषय के बारे में जानकारी नहीं है, उस पर जाकर रिसर्च कीजिए, जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए. यदि कोई संस्थान आप को रिसर्च करने नहीं देता है तो हमारे पास आइए.”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि, “आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनाया या ताजमहल की उम्र किया है?”
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को उस याचिकाकर्ता को फटकार लगाई जिसने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ताजमहल परिसर के अंदर 20 से अधिक बंद कमरों को खोलने के निर्देश देने की मांग की थी..
याचिकाकर्ता का नाम डॉ. रजनीश सिंह है जो भाजपा की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी हैं.
याचिकाकर्ता ने यह दावा किया था कि ताजमहल के बारे में झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वह सच्चाई का पता लगाने के लिए पास के कमरों में जाकर रिसर्च करना चाहते हैं.
लाइवलॉ.इन के अनुसार, जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कहा, “इस तरह की बहसें अदालत के लिए नहीं, बल्कि ड्राइंग रूम के लिए होती हैं.”
याचिकाकर्ता के वकील ने एक समिति नियुक्त करने की मांग की. याचिकाकर्ता ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करता हूं कि मेरी मुख्य चिंता बंद कमरों को लेकर है और हम सभी को पता होना चाहिए कि उन कमरों के पीछे क्या है. कृपया मुझे उन कमरों में जाने और रिसर्च करने की अनुमति दें.”
इस पर कोर्ट ने सवाल किया, “कल आप आएंगे और हमें इस अदालत के माननीय न्यायाधीशों के चैंबर में जाने के लिए कहेंगे?”
अदालत ने आगे पूछा कि क्या यह अदालत को तय करना है कि ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण किसने किया?
पीठ ने कहा, “आप मानते हैं कि संरचना (ताजमहल) शाहजहां ने नहीं बनाई थी? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? कृपया हमें उन ऐतिहासिक तथ्यों पर न ले जाएं जिन पर आप विश्वास करते हैं.”