एक झलक

परिवर्तन सृष्टि का नियम है

16नवंबर2021

गीता कहती है जरा को जरूर जानो जरा का अर्थ है मिटना, छीजना, ह्रास होना कोई भोर ऐसी नहीं जो शाम न हो, कोई शाम ऐसी नहीं जो भोर न हो कोई रात ऐसी नहीं जो प्रभात पैदा न करे परिवर्तन यहाँ का नियम है हम उन चीजों को सँभालने की कोशिश में लगे हैं जो सदा एक जैसी नहीं रह सकती

अवस्था भी हमारी नित्य बदल रही है जैसे हम कल थे वैसे आज नहीं है और जैसे आज हैं वैसे कल नहीं रहेंगे शरीर का कोई भरोसा नहीं इसलिए जो श्रेष्ठ कर्म करना चाहो वो तुरंत कर लेना समय कभी भी किसी का इन्तज़ार नहीं करता विचारों की भी अराजकता हमारे भीतर चल रही है रोज नये विचार , नये उद्देश्य, नई दौड़ आप स्वयं भी तो अपने भीतर हो रहे परिवर्तन को देख रहे हो आप भी तो नित बदल रहे हो फिर दूसरों के बदल जाने पर क्रोध क्यों करते हो। परिवर्तन जीवन का साश्वत क्रम है उसमें स्वयं को समायोजित करना ही श्रेयष्कर है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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