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पहली बार दी गई देश में बनी तोप से सलामी

15अगस्त 2022

15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ. लेकिन इसके करीब 30 साल बाद पहली बार सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. तब से लेकर आजतक भारत स्वदेशी हथियारों, मिसाइलों और टैंकों पर ध्यान दे रहा है. बना रहा है. आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर लाल किले से पहली बार स्वदेशी हॉवित्जर तोपों से सलामी दी गई. इस तोप का नाम है एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण के दौरान इन तोपों की तारीफ की.

इन तोपों को डीआरडीओ की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (ARDE), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम और भारत फोर्ज लिमिटेड ने मिलकर बनाया है. यह तोप 155 mm/52 कैलिबर की है. हाल ही में राजस्थान के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में इसका सफल परीक्षण किया गया था. इस तोप को किसी भी स्थान पर ले जाकर तैनात किया जा सकता है. चाहे पाकिस्तान की सीमा हो या फिर चीन की सीमा के पास लद्दाख में.

भारतीय सेना के पास 155 mm की यह गन फिलहाल 7 हैं. साल 2016 में इसका पहला परीक्षण हुआ था. 40 तोपों का ऑर्डर किया हुआ है. इसके अलावा 150 और तोप बनाए जाएंगे. इसे चलाने के लिए 6 से 8 लोगों की जरूरत पड़ती है. बर्स्ट मोड में 15 सेकेंड में 3 राउंड, इंटेस में 3 मिनट में 15 राउंड और 60 मिनट में 60 राउंड फायर करता है. इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है. लेकिन इसे बढ़ाकर 52 करने का प्रयास किया जा रहा है.

इस गन का वजन 18 टन है. इसकी नली यानी बैरल की लंबाई 8060 मिलिमीटर है. यह माइनस 3 डिग्री से लेकर प्लस 75 डिग्री तक एलिवेशन ले सकता है. अगर इसमें HE-BB या हाई एक्सप्लोसिव बेस ब्लीड एम्यूनिशन लगाया जाए तो इसकी रेंज बढ़कर 52 किलोमीटर हो जाती है. इसमें थर्मल साइट और गनर्स डिस्प्ले लगा हुआ है.

ATAGS को विकसित करने में करीब चार साल लगे हैं. इसके ऑर्डिनेंस सिस्टम और रीकॉयल सिस्टम की वजह से इसमें थोड़ी देरी हुई. इसे सबसे पहले 26 जनवरी 2017 को गणतंत्र दिवस परेड पर लोगों के सामने प्रदर्शित किया गया था. अब तक इसके छह से सात परीक्षण हो चुके हैं. भारत के पास इस तरह के अन्य और भी तोप है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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