पूर्वांचल

बम बम बोल रहा है काशी!शिव की नगरी काशी शिवरात्रि की धूम, लाखो शिवभक्‍तो ने काशी विश्‍वनाथ के दरबार में किया जलाभिषेक

वाराणसी18फ़रवरी :शिवभक्तों की पंचक्रोशी यात्रा मणिकर्णिका घाट से गंगा जल भर कर हजारों भक्तों ने शुरू की। शिवभक्त पंचक्रोशी मार्ग के शिवालयों में जलाभिषेक करके कंदवा कपिल तीर्थ तथा रामेश्वर होते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं। पैर में पड़े छाले व दर्द भी आस्था पर कोई असर नहीं डाल रहा है। यह कठिन यात्रा भक्त एक दिन में ही पूरी करते हैं। शनिवार को काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के बाद ज्ञानवापी प्रांगण में संकल्प छोड़ कर यात्रा का समापन किया। आस्था के दम पर नंगे पांव चलते हुए 80 किलोमीटर की लंबी यात्रा के दौरान भोलेभक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह स्टाल भी लगाए गए। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के साथ रामेश्वर महादेव में जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी है। पंचक्रोशी यात्रा पर निकले भक्तों ने बताया कि वह पिछले तीन वर्षों से पंचक्रोशी यात्रा कर रहे हैं। पुरुषार्थ के चार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति की कामना के साथ हर वर्ष वह पंचक्रोशी यात्रा करते हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर सहित सभी प्रमुख शिवालयों पर आधी रात से ही शिवभक्तों की कतारें लग गई हैं। दूसरी तरफ पंचक्रोशी यात्रा पर निकले युवा शिवभक्तों के जयकारों से काशी का कण-कण भक्तिभाव में डूब गया है। महाशिवरात्रि पर बनारस में हर ओर हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है। शिवालयों के कपाट रात के तीसरे पहर से खुलने के बाद दर्शन करने वालों की कतार बढ़ ही रही है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, रामेश्वर मंदिर, बीएचयू में विश्वनाथ मंदिर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों मंदिरों में लाखों भोले के भक्तों की कतार भारी कतार लग गई है। चक्रपुष्कर्णी कुंड और मां गंगा में स्नान कर हजारों भक्तों का हुजूम संकल्प लेने के साथ ही पंचक्रोशी यात्रा पर निकल थे। पथरीले सड़कों पर हर-हर महादेव शिव शंभो, काशी विश्वनाथ गंगे का उद्घोष भारी पड़ा। कर्दमेश्वर महादेव, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर (पांचों पांडव), कपिलधारा होते 85 किलोमीटर की यात्रा नंगे पांव शिवभक्त 8 से 10 घंटे या 12 से 20 घंटे में पूरी करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि कभी अपने नेत्रहीन माता-पिता को कंधे पर लेकर तीर्थ कराने जा रहे बालक श्रवण की जान राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण से चली गई थी। त्रेता में अपने पिता को दोषमुक्त कराने के लिए भगवान राम ने काशी में यह परिक्रमा की थी। उस युग में भगवान राम जिन पांच पड़ावों से होकर गुजरे वे ही बाद में तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनमें कर्दमेश्वर, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर और कपिलधारा के नाम शामिल हैं। करीब 85 किमी लंबे पंचक्रोशी परिक्रमा पथ पर 108 तीर्थों के होने का जिक्र स्कंद पुराण में है। यात्रा का पहला पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव चितईपुर कंदवा में है। दूसरा पड़ाव भीमचंडी है। पंचक्रोशी यात्री भीमचंडी विनायक के मंदिर में जाकर दर्शन-पूजन करते हैं। यात्रा का तीसरा पड़ाव रामेश्वर है। रामेश्वर मंदिर में भी दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालु चौथा पड़ाव शिवपुर, अंतिम पड़ाव कपिलधारा से होते हुए वरुणा-गंगा संगमतीर्थ आदिकेशव पहुंचते हैं। यहीं है आदिकेशव का विशाल मंदिर। मंदिर में शिवजी को ही केशवेश्वर कहा जाता है। यहां से नाव से श्रद्धालु मणिकर्णिका घाट पहुंचते हैं और संकल्प छुड़ा बाबा दरबार में हाजिरी लगाते हैं।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *