बसपा अब आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों पर करेगी फोकस,दलितों का छिटकना बना बड़ा चिंता का विषय
लखनऊ13 सितंबर :आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर से सवर्णों पर विशेष फोकस करेगी। बसपा खास तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को जोड़ने की कवायद तेज करने की तैयारी में जुट गई है।गांव चलो अभियान में भी इस पर जोर रहेगा।बसपा ने अपने छिटके दलित वोट बैंक को फिर से अपने पाले में लाने के लिए दलित बाहुल्य क्षेत्रों में कॉडर कैंप करने की रूपरेखा तैयार की है।
साल 2007 के बाद चुनावों में लगातार चुनावी मैदान में मिल रही शिकस्त के बाद बहुजन समाज पार्टी के सामने इस समय विकट स्थिति है।लगातार सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेती हुई आ रही बसपा का यह फार्मूला 2022 विधानसभा चुनाव में भी पूरी तरह से फ्लॉप रहा।बावजूद इसके कि इस चुनाव में बसपा को एक करोड़ 18 लाख वोट मिले,लेकिन बसपा सिर्फ रसड़ा विधानसभा सीट ही जीत पाई।यूपी में दलित वोटरों की संख्या तकरीबन तीन करोड़ है।इसमें काफी वोट बसपा को मिलता रहा है,लेकिन अब ये वोट बैंक भी खिसक रहा है। घोसी विधानसभा में हुए उपचुनाव में ये वोटर बड़ी संख्या में शिफ्ट हुए। घोसी उपचुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था, लेकिन बसपाइयों को वोट न देने या नोटा दबाने की अपील की थी।बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक शिफ्ट होने से बसपा के रणनीतिकारों की नींद उड़ गई है।
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक करोड़ 93 लाख वोट मिला था।बसपा को 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने कैडर कैंप शुरू किए हैं तो साफ कहा है कि सर्व समाज पर फोकस करना है। इनमें खास तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी जोड़ने लिए कहा गया है। इसके लिए इस वर्ग के पदाधिकारियों के लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। गांव चलो अभियान में इस वर्ग के बाहुल्य गांवों में लगातार अभियान चलाने के लिए कहा गया है।
भले ही किसी भी अन्य वर्ग पर फोकस किया जा रहा हो पर बसपा की सबसे बड़ी चिंता ये है कि दलित वोटर स्थायी रूप से कहीं दूसरे दलों में शिफ्ट न हो जाएं। यही कारण है कि दलितों में लगातार कैंप करने के लिए कहा है। शहर गांव दोनों में ही दलितों के बीच बसपाई लगातार कैंप कर रहे हैं। साथ ही इनके क्षेत्रों में काडर कैंपों का आयोजन लगातार करने के लिए कहा है। हर विधानसभा क्षेत्र में इस बाबत अलग से कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसमें युवाओं और महिलाओं को जोड़ते हुए नए सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया जा रहा है। बूथ कमेटियों पर खास फोकस है।