एक झलक

भगवान शिव के 11वां रूद्र अवतार प्रभु श्री हनुमान का दो बारा जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है, जानिए इससे जुड़ी कथा

वाराणसी11नवम्बर :समुद्रमंथन के पश्चात शिव जी ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होनें देवताओँ औरअसुराँ को दिखाया | उनका वह आकर्षक रूप देखकर वह कामातुर हो अपना वीर्यपात कर दिया। वायुदेव ने शिव जी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इस तरह अंजना के गर्भ से हनुमान का जन्म हुआ। उन्हें शिव का 11वाँ रूद्र अवतार माना जाता है। बाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री हनुमान वैवस्वत मनु के छठे मन्वन्तर के त्रेतायुग के प्रारंभ में हुए थे ।आज की तिथि के अनुसार लगभग 25 लाख साल पहले ।

नामकरण

राम भक्त हनुमान जी भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं. उन्हें बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी इसलिये वे जन्म लेने के तुरंत बाद आकाश में उछले और सूर्य को फल समझ खाने की ओर दौड़े उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिये आया हुआ था लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया। जैसे ही हनुमान जी ने भगवान सूर्य को निगलना चाहा तभी स्वर्ग के स्वामी इन्द्र ने वज प्रहार किया जिससे हनुमानजी की ठुडडी (संस्कृत में हनु) टूट गई।
इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश,शंकर सुवन आदि।

क्या है हनुमान की जन्म कथा

हनुमान जी का जन्म वैसे तो दो तिथियों में मनाया जाता है पहला चैत्र माह की पूर्णिमा को तो दूसरी तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में भी दोनों तिथियों का उल्लेख मिलता है लेकिन एक तिथि को जन्मदिवस के रुप में तो दूसरी को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रुप में मनाया जाता है।
उनकी जन्मोत्सव को लेकर दो कथाएं भी प्रचलित है।

चैत्र माह की पूर्णिमा को जन्मे हनुमान

माना जाता है इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है।

दीपावली के पूर्व भी मनाई जाती है हनुमान जन्मोत्सव

वहीं दूसरी कथा माता सीता से हनुमान को मिले अमरता के वरदान से जुड़ी है। हुआं यूं कि एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी तो हनुमान जी को यह देखकर जिज्ञासा जागी कि माता ऐसा क्यों कर रही हैं। उनसे अपनी शंका को रोका न गया और माता से पूछ बैठे कि माता आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं। माता सीता ने कहा कि इससे मेरे स्वामी श्री राम की आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। रामभक्त हनुमान ने सोचा जब माता सीता के चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु श्री राम का सौभाग्य और आयु बढ़ती है तो क्यों न पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगाने लगूं। उन्होंने ऐसा ही किया इसके बाद माता सीता ने उनकी भक्ति और समर्पण को देखकर महावीर हनुमान को अमरता का वरदान दिया। माना जाता है कि यह दिन दीपावली का दिन था। इसलिये इस दिन को भी हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है,

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *