वाह रे बडका बाबू वाह UPPCL में न्यायपालिका के बाद कम्पनी एक्ट को भी रखा बडका बाबूओ ने ताक पर
लखनऊ 12 मार्च आज कल शक्तिभवन से ले कर सारे डिस्कॉमो निदेशको के साक्षात्कार की चर्चा जोरो पर है और पिछले साक्षात्कार की भी बाते हवा मे तैरती सुनाई दे रही है कि किस तरह से बडका बाबूओ ने तानाशाही चली और कैसे साक्षात्कार निरस्त हुए । आज खबर यह है कि पुराने विज्ञापन पर ही स्क्रीनिंग कमेटी बना कर अब साक्षात्कार की तैयारी है चर्चा तो यहा तक है कि बडकऊ के कुछ मुहँ लगे चाटूकोर किस्म के लोगो को चुना जाना तय माना जा रहा है वही पुराने विज्ञापन की शर्तो मे भी संशोधन किया गया है परन्तु एक बात गले से नीचे नही उतर रही है कि जब विज्ञापन पुराना है तो इसमे स्क्रीनिंग कमेटी बना कर पुराने अभियार्थीयो को कैसे बाहर कर दिया । क्या यह कम्पनी ऐक्ट का उल्लंघन नही ?
क्या नयी नियमावाली की सूचना कम्पनी रजिस्ट्रार को दी गयी ?
क्या अवैध रूप से नियुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीगण आपनी मनमर्जी से इस पूरे ऊर्जा विभाग को चलाने की तानाशाही कोशिश तो नही है । एक तरफ पी एफ घोटाले मे पूर्व प्रबन्ध निदेशक की जमानत को ले कर सीबीआई सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रही है और दूसरी तरफ भारतीय प्रशासनिक सेवा से पूछताछ करने की अर्जी मुख्यमंत्री के पास लगा कर मामला ठंडे बस्ते मे डाला जाता है तो वही दूसरी तरफ दो लोगो से वसूली के आदेश बडका बाबू के द्वारा दे दिया जाता है । आखिर यह सब क्या हो रहा है क्या उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से नियुक्त बड़केबाबु किसी के प्रति जवाबदेह नही है या वो जो चाहे या करे सब ठीक वैसे समूची UPPCL में अवैध रूप से नियुक्त बड़केबाबुओ के राज्य में ईआरपी खरीद घोटाला, स्मार्ट मीटर घोटाला, महंगी बिजली खरीद घोटाल , मीटर रीडिंग घोटाला , अनुभव हीन सलाहकारो की नियुक्ती जैसे ना जाने कितने घोटले हुए है कुछ घोटालो की जाॅच तो कराओ बडका बाबूप्रमुख या घोटालों ने सोने के अंडे देने वाले इस उद्योग को तबाह बर्बाद करने में कोई कोर कसर नही छोड़ोगे है परन्तु आश्चर्य की बात है ईमादारी के कम्बल ओढ़ कर इस कम्पनी को चलाने का दम भरने वाले बड़कऊ क्या इन घोटालों की जांच कराने की दिशा में कोई काम कर भी रहे है या सिर्फ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर के तानाशाही चला रहे है अगर कोई जाॅच नही कर रहे हो तो निष्ठा पर उंगली उतनी स्वाभाविक है अगर प्रबंधनिदेशक, निदेशको की चयन प्रक्रिया की जा रही है तो अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन एवं सभी कम्पनियों के अध्यक्षो के चयन प्रक्रिया का विज्ञापन क्यो नही निकला जाता यह एक बडा सवाल है जिसका जवाब तो आज नही तो कल देना ही पडेगा!
इस अधूरी चयन प्रक्रिया करने से एक बात तो साफ है कि इस बिजली उद्योग को बड़केबाबुओ द्वारा लगातार 20 वर्षो में एक मात्र घाटे के सिवाय कुछ भी देने की प्रतिभा नही देखी गयी यानी अभी बर्बादी का और भी मंजर देखना शायद शेष रह गया है । खैर
युद्ध अभी शेष है