विद्युत विभाग:लिपिकीय संवर्ग की बेहाली:6 वर्षो से नही हुई पदोनत्ति:अधिकारी/अभियन्ताओ की होती पदोन्नती: कर्मचारियो के प्रति सरकार की मंशा के विपरीत UPPCL
वाराणसी/लखनऊ 30 सितम्बर:””“”””क्षेत्रीय लेखा अधिकारी औऱ पूर्वान्चल प्रशासन पर उठते सवाल”””””विनियमावली-1970 में बिना संशोधन के होता आदेश का क्रियान्वयन””””‘””’
अपनी अपनी सुविधा अनुसार UPPCL के आदेश संख्या-102 दिनांक-29.01.2019 को समझते औऱ समझाते अधिकारी/अभियन्ता। लेखा कार्यालय देता वित्तीय लाभ।
जागो प्रबंधन जागो पूर्वान्चल प्रशासन करता UPPCL के आदेशों की अवहेलना
विद्युत विभाग में कार्यरत कर्मचारियो को तीन संवर्गो में बांटा गया।
1 अभियन्ता संवर्ग
2 लिपिकीय संवर्ग
3 चतुर्थ श्रेणी
तीनों संवर्गो में अभियन्ता संवर्ग बाकी के संवर्गों में सर्वश्रेष्ठ किया गया लिपिकीय संवर्गो की सेवा लाभों से लाभान्वित करने का ज़िम्मा इनी के पास है प्रमुख रूप से कर्मचारियो की पदोन्नति का चाहे चतुर्थ श्रेणी की पदोन्नति हो या लिपिकीय संवर्गों की ये ही कमेटी बनाते औऱ पदोन्नति करते है।
अधिकारियों/अभियंताओ/तकनीशियन संवर्गो की पदोन्नति प्रतिवर्ष रिक्त पदों पर होती रहती है पर इसके विपरीत लिपिकीय संवर्ग की पदोन्नति पिछले 6 वर्षों से नही हुई है।
पूर्वान्चल प्रशासन UPPCL को टोपी पहनाता तो UPPCL पूर्वान्चल प्रशासन को
लिपिकीय संवर्ग की पदोन्नति में आ रही अड़चनों को दूर करने में अधिकारियों द्वारा संतोषजनक कार्यवाही न करने के कारण समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। अधिकारी सिर्फ संगठन के विरोधी/आवाज उठाने पर पत्राचार करते रहे है निगम औऱ UPPCL एक दुसरे पर पदोन्नति की टोपी पहनाने में व्यस्त है।
पिछले 6 वर्षों में एक भी कर्मचारी की नही हुई पदोन्नति:UPPCL के एक आदेश ने किया लिपिकों का बंटाधार
अभियन्ता संवर्गो की प्रत्येक चयन वर्ष में कारपोरेशन में पदोन्नति होती है टी०जी० 2 से अवर अभियंता,अवर अभियंता से सहायक अभियंता,सहायक अभियन्ता से अधीक्षण अभियंता, अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता औऱ इसके आगे निदेशक बनने तक नियमित तौर पर पदोन्नति होती रहती है।
परन्तु जंहा अभियंताओं को कर्मचारियों की पदोन्नति करनी होती हैं वँहा पर सिर्फ टाल मटोल कर पत्राचारों में पदोन्नति को समेट दिया जाता है,पूर्वांचल में पिछले 5-6 वर्षों में न तो डिस्कॉम स्तर से,न तो मुख्य अभियंता स्तर से औऱ न ही मंडल स्तर से पदोन्नति की गई है।
अधिकांश कर्मचारी अपनी पदोन्नति से पहले ही सेवा-निवृत्त हो जा रहे है पर अभियन्ता लोग अपने मे मस्त है और कर्मचारी सेवा लाभों के लिए पस्त हैं।
कारपोरेशन के आदेश संख्या-102 दिनांक-29.01.2019 के एक आदेश जिसमे लिपिकीय संवर्गो के पडनमो का परिवर्तन किया गया था, जारी करने के बाद विभाग के सारे अधिकारी उसके पालन में लग गए।
कौवा कान ले गया की महावत को चरितार्थ करतेविभाग के अधिकारी:लिपिकीय संवर्ग में अधिकारियों के प्रति रोष व्याप्त है
कारपोरेशन ने अपने आदेश में लिपिकीय संवर्गो के पदनामों को परिवर्तित कर कई बिंदुओं का जिक्र किया,परन्तु पदनामों को परिवर्तित करने औऱ बनाई गई नई व्यवस्था को लागू होने के लिए आदेश संख्या-102 दिनांक-29.01.2019 का लिपिकीय विनियमावली-1970 में संशोधन होने के बाद आदेश का क्रियान्वयन होने का आदेश निर्गत किया।
*बिना संशोधन के आदेश को करते लागू*
परन्तु UPPCL से लेकर निगमो में आदेश संख्या-102 दिनांक-29.01.2019 के प्राविधानो का संशोधन विनियमावली-1970 में हुए बिना ही लागू कर दिया।
यही हाल पूर्वान्चल के अधिकारियो ने किया औऱ लिपिकीय संवर्ग की पदोन्नति के लिऐ UPPCL से अनावश्यक पत्राचार कर पदोन्नति को लटका दिया।
UPPCL ने आदेश निर्गत करने के बाद भी अधिकारी करते अनावश्यक पत्राचार
अपने वर्ष-2019 में जारी आदेश, जिसमे लिपिकीय संवर्ग के पदनामों को परिवर्तित कर नई व्यवस्था बनाई थी, उसका विनियमावली-1970 में संशोधन न होने पर लिपिकीय संवर्गो की पदोन्नति पूर्व प्रचलित व्यवस्था के तहत करने के आदेश संख्या-220 दिनांक-03.05.2023 जारी करने के बाद भी पूर्वान्चल प्रशासन औऱ अधीनस्थ कार्यालयो में पदोन्नति नही की जा रही है।
*विनियमावली-1970 में व्यवस्था परिवर्तन के बिना संशोधन के, क्षेत्रीय लेख अधिकारी देते वित्तीय लाभ*
पूर्वान्चल में आदेश संख्या-102 दिनांक-29.01.2019 के आदेश का विनियमावली-1970 में संशोधन न होने के बावजूद नियमों के विपरीत वित्तीय लाभ ले लिया औऱ क्षेत्रीय लेखा कार्यालय द्वारा भी उसको वेरिफाई किया जा रहा है। जो वर्तमान में गले की हड्डी बन गई है न उगलते बन रही है न निगलते।
पढ़ा लिखा चतुर्थ कर्मचारी पदोन्नति से है वंचित
चतुर्थ श्रेणी के पढ़े लिखे कर्मचारियो की पदोन्नति भी इन्ही अभियंताओ के चक्कर मे लटकी हुई है पिछले कई वर्षों से इनकी भी पदोन्नति नही हुई है।चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति मंडल स्तर से होती है,मंडल के अभियन्ता अधिकारियो द्वारा इनको हासिये पर डाल दिया गया है।
पड़ताल के दौरान पता चला कि पदोन्नति कार्यो से संबंधित कुछ लिपिकीय कर्मचारियों के द्वारा जब चहेतों को बरी आती है तो तुरंत कमेटी बना कर पदोन्नति की जाती है बाकी सिर्फ पत्राचार होता रहता है इसमें अभियंताओ की भूमिका भी संदिग्ध नजर आही है।
पूर्वान्चल,डिस्कॉम में तो मलाई खिलाओ औऱ पदोन्नति पाओ का खेल चलता है पूर्वान्चल डिस्कॉम द्वारा वर्ष-2016 में एक अवैध पदोन्नति करने के प्रकरण की चर्चा आज भी डिस्कॉम गलियारों में चर्चा का विषय है।
पड़ताल जारी है……