शिव गया तीर्थ के रूप मे प्रतिष्ठित है कपिलधारा तीर्थ – स्वामी शंकरदेव
पंचकोशी यात्रा पाँचवे पड़ाव कपिलधारा पहुँची
वाराणसी 20 मार्च। धर्मसंघ स्थित मणि मंदिर के चतुर्थ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर चल रही पंचकोशी यात्रा के पांचवें दिन मंगलवार को यात्रा ब्रह्म मुहूर्त में शिवपुर स्थित पाँचो पंडवा मंदिर से निकलकर कपिलधारा स्थित कपिलेश्वर महादेव मन्दिर पहुँची। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य मे श्रद्धालु प्रभुनाम संकीर्तन करते हुए चलते रहे। बटुक धर्म ध्वजा लहराते हुए हर हर महादेव शंभु, काशी विश्वनाथ गंगे का गान करते हुए चल रहे थे। कपिलधारा स्थित कपिलेश्वर महादेव के मंदिर में भक्तों ने पूजन अर्चन किया। वैदिक आचार्यों द्वारा महादेव का दिव्य अभिषेक किया गया। इसके पश्चात यात्रा रात्रि विश्राम के लिए मंदिर में ही ठहरी।
सायंकाल श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज ने कहा कि काशी पंचक्रोशी परिक्रमा का पंचम् पड़ाव कपीलधारा में होता है, यह पंच दिवसीय तीर्थयात्रा का अंतिम पड़ाव कपिलेश्वर महादेव मंदिर है। इसकी स्थापना महर्षि कर्दम के पुत्र कपिल ऋषि ने की थी। पौराणिक मान्यता है कि पंचक्रोशी परिक्रमा करने से काशी में विराजमान समस्त देवी देवताओं के साथ ही सभी देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और नागों के दर्शन का पुण्य फल एक साथ मिल जाता है।
स्वामी शंकरदेव ने कहा कि यह तीर्थ शिव गया के रूप में भी जाना जाता है। एक गया तीर्थ बिहार में स्थित है जहाँ पिण्ड दान करने का परम् पुण्य एवं पितरों की शांति होती है। उस गया तीर्थ को विष्णु गया कहते है। उस गया से भी अधिक महत्व इस गया का है। इसे शिव गया के रूप में मान्यता है यहाँ अवश्य ही पितरों के निमित्त पिण्ड दान करना चाहिए इसका अनन्त पुण्य फल अर्जित होता है। वृंदावन से आये कथा व्यास आचार्य भरत पाण्डेय ने भी शिवमहापुराण कथा का श्रवण कराया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से धर्मसंघ महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय, मनोहर लाल अरोड़ा, बलदेव शर्मा, राजमंगल पाण्डेय, वीरभान अरोड़ा, रमेश गुप्ता, राज कुमार महाजन सहित सैकड़ों भक्त शामिल रहे।