पूर्वांचल

सीएम योगी आदित्यनाथ ने सात सामुदायिक जेटी का लोकार्पण और 8 का किया शिलान्यास

वाराणसी11नवम्बर :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान शुक्रवार को अस्सी के पास रविदास घाट पर भारत सरकार में बंदरगाह, नौवहन व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ संयुक्त रूप से
भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गंगा में तैयार किये गये जेट्टीयों का बटन दबाकर लोकार्पण किया। उन्होंने 7 सामुदायिक जेट्टीयों का लोकार्पण तथा 8 सामुदायिक जेट्टीयों का शिलान्यास किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर हाइड्रोजन एवं इलेक्ट्रिक कैटामेरन (वाराणसी, अयोध्या, मथुरा) हेतु अनुबंध तथा वाराणसी एवं डिब्रूगढ़ के मध्य क्रूज के समय सारणी का विमोचन किया। इस अवसर पर भारत सरकार में बंदरगाह, नौवहन व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, वाणिज्य व उद्योग, उपभोक्ता मामले तथा खाद्य एवं जन वितरण हेतु केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
गौरतलब हैं कि भारत की आध्यात्मिक नगरी को सबसे उन्नत हाइड्रोजन फ्यूल सैल कैटमारन जलयान मिलने जा रहे हैं। वाराणसी को एक हाइड्रोजन फ्यूल सैल जलयान और चार इलेक्ट्रिक हाइब्रिड जलयान मिलेंगे। इस आयोजन के दौरान भा.अ.ज.प्रा. तथा कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के मध्य एक करार पर दस्तखत किए गए। जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट-2 (जिसे अर्थ गंगा) भी कहा जाता है तहत भा.अ.ज.प्रा. गंगा नदी पर 62 लघु सामुदायिक घाटों का विकास/अपग्रेड कर रहा है। इनमें से 15 उ.प्र. में 21 बिहार में, 3 झारखंड में और 23 पश्चिम बंगाल में हैं। उत्तर प्रदेश में वाराणसी और बलिया के बीच 250 किलोमीटर में घाट विकसित किए जा रहे हैं। ये घाट यात्री एवं प्रशासनिक सुविधाओं से युक्त होंगे जिनसे नदी पर सामान एवं मुसाफिरों की आवाजाही संभव होगी और समय तथा लागत की बचत होगी। घाटों का परिचालन आरंभ हो जाने से छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में वृद्धि होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और इस सब से समुदायों को लाभ होगा। अन्तर्देशीय जलमार्गों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने से विकास एवं परिचालन के मानकीकरण में मदद मिलेगी, फलस्वरूप स्थानीय समुदायों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी और उनकी आजीविका में भी सुधार होगा। यह पहल भारत सरकार की नीतियों और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए सक्रिय उपायों के अनुसार है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में स्वच्छता अभियान जीवन एवं कारोबार के सभी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। अन्तर्देशीय जलमार्ग परिवहन किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है और अब काशी में शून्य उत्सर्जन हाइड्रोजन फ्यूल सैल पैसेंजर कैटमारन जलयान के आ जाने से जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लाने का मार्ग प्रशस्त होगा। भा.अ.ज.प्रा. के माध्यम से भारत सरकार ने यह प्रोजेक्ट कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड, कोची को दिया है जिसने हाल ही में भारत का पहला स्वदेश निर्मित एयर क्राफ्ट कैरियर तैयार किया है। भा.अ.ज.प्रा. और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच हुए करार के मुताबिक शून्य उत्सर्जन 100 पैक्स हाइड्रोजन फ्यूल सैल पैसेंजर कैटामारन जलयान का डिजाइन और विकास कोचिन शिपयार्ड मैसर्स केपीआईटी, पुणे के सहयोग से करेगी। कोची में परीक्षण के पश्चात् कैटामारन जलयान को वाराणसी में तैनात किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के आधार पर इस टेक्नोलॉजी को कार्गो वैसल, स्मॉल कंट्री क्राफ्ट आदि के लिए अपनाया जा सकेगा, जिससे राष्ट्रीय जलमार्गों में प्रदूषण का स्तर घटाने में बहुत मदद मिलेगी। समझौते के तहत कोचिन शिपयार्ड 8 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जलयानों का निर्माण भी करेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र सरकार ने रु.130 करोड़ मंजूर किए हैं। 50 पैक्स क्षमता वाले जलयान वाराणसी, अयोध्या, मथुरा- वृंदावन और गुवाहाटी में तैनात किए जाएंगे।
बताते चलें कि वाराणसी से लेकर कोलकाता के बीच कुल 60 जेटी बनाए जाने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में सात जेटी तैयार हुए हैं, वाराणसी के तीन, बलिया में दो और चंदौली, गाजीपुर में एक-एक जेटी शामिल है। जिनमें वाराणसी के रविदास घाट, रामनगर, कैथी, चंदौली में बलुआ, गाजीपुर में कलेक्टर घाट, बलिया में उजियार घाट बरौली और शिवपुर शामिल हैं।
कार्यक्रम के अवसर पर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय, उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, सहित अन्य लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

विशेष:”गंगा विलास”

गंगा विलास भारत में निर्मित पहला रिवर शिप है जो वाराणसी से डिब्रूगढ़ की यात्रा करेगा, जो की कुल 3200 किलोमीटर का फासला है। 50 दिनों का यह सफर भारत व बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम्स से होकर गुज़रेगा तथा वास्तुशिल्प के लिहाज से अहम 50 से अधिक जगहों पर रुकेगी जिनमें विश्व विरास्त स्थल भी शामिल हैं। यह जलयान राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों से भी गुज़रेगा जिनमें सुंदरबन डेल्टा और काज़ीरंगा नैशनल पार्क भी शामिल हैं। यह यात्रा एक ही रिवर शिप द्वारा की जाने वाली दुनिया की सबसे लंबी यात्रा होगी और इस परियोजना ने भारत व बांग्लादेश को दुनिया के रिवर क्रूज़ नक्शे पर ला दिया है। भारतीय उपमहाद्वीप में पर्यटन का यह नया क्षितिज खुला है। इससे भारत की अन्य नदियों में भी रिवर क्रूजिंग के बारे में जागरुकता बढ़ेगी। गंगा विलास जलयान: लंबाई: 62.5 मीटर, चौड़ाई: 12.8 मीटर, ड्राफ्ट: 1.35 मीटर व इसमें 18 सुइट्स होंगे।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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