हाय हाय पावर कार्पोरेशन,दस्ताने लूट व लूटतंत्र की ,अवैध रूप से नियुक्त बड़केबाबुओ के राज्य में सिर्फ चलती है तनाशाही
लखनऊ 11 नवंबर उ प्र सरकार को अधेरे मे रख कर भारतीय संविधान की धज्जिया उडाते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियो यानि कि बड़केबाबुओ ने उ प्र पावर कार्पोरेशन को विगत 20 वर्षों से मानो अपना चारागाह बना लिया। उ प्र सरकार द्वारा प्रदेश के जिन गरीब उपभोक्ताओं को सस्ते दाम पर बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी उसकी आड मे इस उद्योग को लगातार लूट कर कंगाल बनाने का क्रम आज भी जारी रखा है आज हालात पूरी तरह अनियंत्रित हो गये है हजारो करोड के घाटे के बावजूद लगातार घोटाले और लूट का यह सिलसिला निरन्तर जारी है अनुभवहीनता , अवैध नियुक्तिया और ऊपर से तानाशाही इस उद्योग की बर्बादी की कहानी खुद ही बयां कर रही है और वैसे इस विभाग को बेहतर तरीके से चलाने की जो व्यवस्था मेमोरेंडम आफ आर्टिकल मे लिखी हुई है उसका तो पालन होता कही भी दिखाई ही नही देता है और तो और कोढ मे खाज सर्वोच्च न्यायालय मे शपध पत्र दाखिल करने के बाद भी उत्तर प्रदेश के बडका बाबूओ द्वारा उसका पालन नही किया जाता आज भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व अन्य वितरण कम्पनियो के प्रबंधनिदेशक के रूप मे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कि नियम विरुद्ध अवैध नियुक्ति निरन्तर होती चली आ रही है जो कि सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवमाना है । प्रदेश मे बदलती सरकारो की आखो मे घूल झोक कर एक षणयन्त्र के तहत जबरदस्ती ओढी गयी जिन जिम्मेदारी को बड़केबाबुओ को द्वारा सरकार द्वारा ली गयी दिखाते है उन सब बडकओ के जमाने मे घोटालों की कहानी UPPCL के इतिहास में दर्ज है और यह क्रम आज भी निरंतर जारी है मौजूदा समय में तो बडका बाबू लोगो ने नियम कानूनो को तो हैंगर में टांग कर खूटी पर लटका दिया है और तानाशाही से इस उद्योग को चलाया जा रहा है हालात यहाँ तक बिगड चुके है कि प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन यानि बडका बाबू uppcl से जब यह पूछा कि भारत सरकार के दिशा निर्देशों मे 25 लाख से ज्यादा कीमत के टेण्डरो / निविदाओ मे ज्वाइट वेचर क्यो नही लागू किया जाता जब कि पारेषण निगम मे यह लागू है तो जनाब बोले कि यह तो मेरी जानकारी मे ही नही है देखता हूँ वैसे यह जरूरी नही कि भारत सरकार की हर निर्देश या गाइडलाइन का उनुपालन किया जाऐ यानि इससे साफ प्रतीत होता है कि प्रतिस्पर्धा ना हो और कुझ चुनिन्दा बडी कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से यह निविदाए प्रकाशित की जाती है यानि की बन्द कमरे मे चादी का जूता चला और जिसने जोर से मारा चयन हो गया उसका । वैसे पाठको को एक बात बताना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन सभी कम्पनियो के मध्य समन्वय स्थापित करने वाली सस्था है और सभी वितरण कम्पनिया स्वपोषित यानी आटोनोमस बाडी है सभी कि वित्तीय आवश्यकताए अलग अलग है और घाटा भी अलग-अलग होता है हर एक कम्पनियो का एक निदेशक मण्डल होता है जिसमे अध्यक्ष प्रबन्ध निदेशक , निदेशक वित्त निदेशक कार्मिक एवम प्रशासन, निदेशक तकनीकी , निदेशक वाणिज्य प्रमुख रूप से होते परन्तु यहा तो अधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत सही बैठती है शायद यह बडका बाबू लोग ने यहा भी खेल खेला है निदेशको के अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशक की बात छोडो यहा कई महीनो से निदेशक ही नही है और चल रहा है काम काज यानि कि चादी के जूते का साम्राज्य ऐसा लगता है कि जैसे इनको ना रोकने टोकने वाला ही नही है और यह बडका बाबू लोग भूल गये कि आज जो साहिबे मसनद है कल नही रहेगे किरायेदार है अपना जाति मकान थोडे है लेकिन चलती है निरंकुशता UPPCL के प्रबन्ध निदेशक बड़केबाबू जी कहते है कि यहा चलती है सिर्फ मेरी मर्जी यह सुनने के बाद एक बात तो साफ है कि या तो इस विभाग को चलाने का जनाब को कुछ भी अनुभव व जानकारी नही है यहाँ बस उनका अहंकार बोल रहा है वर्तमान में विभाग को चलाने के लिए तैयार आर्टिकल मेमोरेंडम का एक बार फिर से चिर हरण करते हुए इस उद्योग को बर्बाद करने की कवायत तेज होती नजर आ रही है हालात यह है कि पहले तो विभागीय कर्मचारियो की कमी का रोना सुनने को मिलता था परन्तु वर्तमान समय तो निदेशकों का टोटा हो गया है जब की साल मे दो बार विभिन्न निदेशक व प्रबन्ध निदेशको पदो के लिए विज्ञापन निकालने की व्यवस्था है मगर यहाँ मामला टाय टाय फिस है बिना निदेशको के यह बडका बाबू तानाशाही रवैये से इस विभाग को नियम विरुद्ध तरीके से चलाए जा रहे है और तो और बिना किसी नियम कानून के निदेशको का कार्यकाल बढाया जा रहा है जब कि मेमोरेंडम आफ आर्टिकल मे स्पष्ट लिखा है कि 3 वर्ष या 62 साल जो भी पहले हो तो फिर कैसे निदेशको का कार्यकाल बढाया जा रहा है क्यो नही निदेशको की चयन हो रहा है वैसे भी निदेशक रबरस्टैमप से ज्यादा इन बडका बाबूओ के सामने कोई हैसियत नही रखते आये दिन नियम विरुद्ध निदेशको की शक्तिया का अपहरण यह बडका बाबू लोग कर लेते है जब कि मेमोरेंडम मे सभी के मतो की शक्ति बराबर है । वैसे शक्तिया एक ही व्यक्ति के पास ना रहे और भ्रस्टाचार पर अंकुश लगे इन सब बातो की ही वजह से ही राज्य विद्युत परिषद को भंग कर कम्पनिया बनाई गयी परन्तु 9आज भी परिषद की तरह से ही सारी शक्तिया नियम विरुद्ध तरीके से अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन ने अपने हाथो मे ले रखी है यहा बडके बाबूओ द्वारा रोज करोड़ो की खरीद हो या कोई बडी नयी निविदाएं सभी काम बन्दर बाट करके बे खौफ तरीके से किया जा रहा है जिसका परिणाम विगत दिनों स्मार्ट मीटर के रूप में प्रदेश के लाखो बिजली उपभोक्ताओं के सामने आया और भुगतना भी जनता को ही करना पड़ा था तानाशाही की इससे बडी और क्या मिसाल होगी जो कि जो काम डिस्कॉमो को करना चाहिए था उसे समन्वय स्थापित करने के लिए बनाई गयी सस्था कर रही है यह स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार नही तो क्या है । खैर
युद्ध अभी शेष है