घाटी में देखी 30 साल बादउप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने मूवी
19सितंबर 2022
जम्मू कश्मीर के घाटी क्षेत्र कश्मीर में 30 साल बाद रविवार को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के प्रयास से सिनेमा हॉल का पुनः संचालन किया गया। जिसमें पहले शो के तौर पर भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर आधारित सच्ची घटना से प्रेरित अंतरराष्ट्रीय धावक मिल्खा सिंह की कहानी भाग मिल्खा भाग का प्रदर्शन किया गया। जिसके साक्षी स्वयं लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा भी बने। बड़े बड़े अखबारों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खी बनी की घाटी में 30 साल बाद सिनेमा हॉल का संचालन। ऐसे में आप सभी को अपनी एक सच्ची स्मृति बताना चाहता हूं। वर्ष 2015 स्थान नई दिल्ली रेल भवन द्वितीय तल कक्ष संख्या 242 तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा साहब अपने कक्ष में बैठे हुए सामान्य ढंग से लोगों से मिलना जुलना कर रहे थे। अपने चिरपरिचित अंदाज में बातचीत और मिलनसार स्वभाव के तहत हंसी ठिठोली हाल-चाल कुशल क्षेम की जानकारी लेना देना। उस समय वहाँ इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ पूर्व अध्यक्ष महामंत्री व लोकतंत्र की लड़ाई में सबसे अधिक समय तक जेल में समय बिताने वाले और श्री मनोज सिन्हा जी के नजदीकी मित्रों में शुमार आजमगढ़ निवासी श्री रामाधीन सिंह जी भी बैठे हुए थे। संयोग से मैं भी वहीं उनके समीप ही बैठा था। तभी सिन्हा जी के एक मित्र जो सुल्तानपुर जनपद निवासी थे आए। सिन्हा जी ने अपने अंदाज में कुशल छेम पूछा, हाल-चाल के दौरान अपने सुल्तानपुर निवासी मित्र से बच्चों की शिक्षा दीक्षा व परिजनों तक का अपने स्वभाव के तहत जानकारी लिए। व्यवसाय की जानकारी लेने पर अचानक सुल्तानपुर निवासी उनके मित्र ने कहा की मैं फिलहाल तमाम व्यवसाय के साथ एक सिनेमा हाल भी संचालित कर रहा हूं। कभी आइए सुल्तानपुर आपको कोई मूवी दिखाता हूं। सिन्हा जी मुस्कुराए और बोले अब मूवी देखने की फुर्सत कहां और मन भी नहीं करता है। अचानक मैं पूछ बैठा आप आखरी बार मूवी कब देखे हैं। याददाश्त के काफी धनी जैसा कि सभी लोग जानते हैं उनकी याददाश्त शक्ति के विषय में कहा जाता है भीड़ में भी अगर किसी को देख ले तो 5 वर्ष बाद भी पहचान सकते हैं। मेरे सवाल पर उन्होंने बताया कि आखरी बार मूवी हम लोग वर्ष 1990 के आसपास देखे थे, जब राम मंदिर आंदोलन के लिए अयोध्या से कार सेवा कर लौटे तो लखनऊ चले गए। जहां मित्रों ने अचानक कोई अच्छी मूवी लगी होने पर समूह बनाकर मूवी देखने का मन बनाया। जिसमें वह भी उन्हीं मित्रों के साथ मन ना होते हुए भी कोई फिल्म देखे थे। आज जब 18 सितंबर 2022 को घाटी में 30 वर्ष बाद सिनेमा हॉल की शुरुआत हुई है। तो सहसा मुझे दो एतिहासिक घटनाएं याद आ गई। राम मंदिर आंदोलन में कारसेवा के बाद मंदिर निर्माण भूमिपूजन और जम्मू कश्मीर को पुनः व्यवस्थित करने में लगा समय भी लगभग 30 वर्षों का रहा है। इस वर्ष बाद अकेले घाटी के लोग ही नहीं बल्कि मनोज सिन्हा ने भी कोई मूवी देखी है। यह महज संयोग है या सिन्हा जी का संकल्प यह तो वही बता सकते हैं लेकिन जो मैंने देखा सुना उसे सामने प्रस्तुत कर दिया है।