वाह रे पावर कार्पोरेशन, अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ की राह चले अभियन्ता संघ अध्यक्ष
लखनऊ 19 मई: अभी तक तो उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और प्रबंधनिदेशक ही कुर्सीयो पर काबिज हुआ करते थे अब उन्ही की देखा देखी राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के महासचिव और उनकी कार्यकारणी भी अपनी समय अवधि पूरी हो जाने के बाद भी चुनाओ की धोषणा ना कर पदो पर जमे हुई है वैसे भी अपनी अपनी ही बिरादरी मे अपनी भद पिटवाने और अभियन्ताओ के रोष को देखते हुए अध्यक्ष अभियन्ता संघ ने तो अपना इस्तीफा 14 मई को ही कार्यकारणी को भेजने का नाटक तो कर ही दिया था और कार्यकारणी ने भी एक सोची समझी रणनीती के तहत एक नाटक किया और बिना वार्षिक सम्मेलन जो कि हर दो साल मे एक बार आयोजित करने का प्रवधान है उसको बिना बुलाऐ ही एक बन्द कमरे मे एक गुप्त मीटिग बुला कर अस्वीकार कर ने का नाटक कर दिया जाता है चर्चा तो यहा तक है कि महासचिव महोदय व अध्यक्ष महोदय दोने के ऊपर गम्भीर अनिमिताओ के आरोप लगे है और जब तक यह दोनो पद पर है तब तक अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबे इनकी गर्दन पर पैर रख कर अपना साम्राज्य निर्बाध रूप से चला सकते है वैसे आज यानि कि 19 मई को इस कार्यकारणि का कार्यकाल पूरा हो गया अब चाहे वो अध्यक्ष हो या महासचिव या कार्यकारणी के कोई भी सदस्य सभी का कार्यकाल खत्म हो चुका है नियमतः चुनाव की घोषणा एक माह पूर्व ही हो जानी चाहिए थी परन्तु भ्रष्टाचारीयो ने अपने को बचाने के लिए यह सूनायोजित षडयन्त्र रचा है वैसे तो चर्चा यह भी है कि अध्यक्ष अभियन्ता संघ महोदय 30 मई/2022 को सेवा मुक्त हो जाएगे और इसीलिए थूका फजीहत होने पर इस्तीफा देने का नाटक किया गया था आज अभियन्ताओ के पास जो सरकारी मोबाइल फोन नम्बर होता है उस तक का बिल नही जमा है जिसकी वजह से सुदूर क्षेत्रो मे तैनात छोटे कर्मचारियों को जनता के गुस्से का सामना करना पडता है छोटी छोटी समस्यो से ले कर प्रबन्धन के गलत फैसलो को प्रबन्धन के ही सामने रखने के लिए ही एक कडी के रूप मे यह अभियन्ता संघ कार्य करते है । परन्तु राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के जिम्मेदार पद पर बैठे लोगो के ऊपर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगने के बाद से ही जिम्मेदारों ने अपने आप को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए अपने इस पद का दुरूपयोग करना शुरू कर दिया विरोध की जगह चाटुकारता शुरू हो गयी जिसका खामियाजा अभियन्ताओ से ले कर जनता तक को भुगतना पड रहा है अनेको उदाहरण संगठन से जुड़े जिम्मेदार सदस्यों द्वारा विगत कुछ माह से निरंतर चर्चा मे सुनने को मिल रहे है वैसे संगठन के चुनाव के बाद ही नवनिर्वाचित जिम्मेदारों ने अपने बड़बोलेपन में संगठन की बड़ी थूका फजीहत कराते देखा और सुना गया अध्यक्ष अभियन्ता संघ ने तो प्रबन्धन से लड़ने के लिए संगठन से गुरू गोविंद सिंह जी की तर्ज पर पंच प्यारे माग लिए थे और आडियो मैसेज मे राम राम सा कह कर साथियों को कुर्वानी की कहानी सुनाते हुए साथ आने की अपेक्षा की थी परन्तु शायद नियत साफ न होने के कारण उस वक्त अध्यक्ष जी की खूब भद्द पिटी थी बाद मे इनके व महासचिव महोदय के भ्रष्टाचार ने तो रही सही कसर निकल दी वर्तमान समय मे जितना कमजोर व लाचार अभियन्ता संघ है उतना तो कभी था ही नही इतना ही नही एक बाहरी व्यक्ति के द्वारा संचालित एक संगठन अवैध रूपसे नियुक्त बडका बाबू से जो चाहे करा लेता है लेकिन अभियन्ता संग की कोई सुनवाई नही होती आखिर क्यो? क्या इसके पीछे पदासीन अधिकारियो का भ्रष्टाचार तो एक बडी वजह तो नही । आखिर क्यो चुप चाप विभागीय मंत्री से पत्राचार होता है जिसमे बडका बाबू की शिकायत की जाती है परन्तु बडकऊ का डर इतना की कही गोपनीय पत्र की सूचना कही बडकऊ को ना लग जाऐ इसका पूरा ध्यान भी रखा जाता है अनुभवी सरक्षक को भी दर किनार कैसे किया जाता है जिनके परामर्श के बगैर पूरे ऊर्जा क्षेत्र मे कोई विरोध प्रदर्शन या अन्य कार्यक्रम नही होते उनको कैसे किनारे किया जाता है उसे कोई महासचिव महोदय से सीखे वैसे इनकी कारगुजारियो से तंग आ कर दो मुख्य अभियन्ता स्तर के वरिष्ठ सदस्यो ने भी संगठन की प्रथमिक सदस्ता से इस्तीफा दिया था मात्र कुछ साल की नौकरी कर 25 लाख की गाडी से चलने वाले अपने को ईमानदार कहने वाले महासचिव जी के कहने ही क्या । आज अभियंता संघ इस हालत पर आ खड़ा हुआ है कि मुख्य नेतृत्वकर्ता उ प्र पावर कार्पोरेशन को लम्बा चुना लगाने के भ्रष्टाचार की जांच के आरोप से बचने के लिए प्रबन्धन की चरण वदना और गणेश परिक्रमा करने की चर्चा सुना जा सकता है वैसे दबी जबान मे चर्चा है बडकऊ आज कल संघ पर खासे मेहरबान है अध्यक्ष जी बिना सजा पाऐ ही चुप सेवानिवृत्त होने की तैयारी कर रहे है और थोडे समय बाद ईमानदार बडकऊ भी केन्द्रीय नियुक्ति पर चले जाएगे ऐसी चर्चाओ का बाजार गर्म है और इसी सब के बाद अध्यक्ष महोदय अभियन्ता संघ जो चाँदी का जूता खाने की सजा के रूप मे कोई कार्यवाही होगी तो वो चांदी के जूते मार कर बराबर कर दी जाएगी और मामले टाय टाय फिस यानि कि ठंडे बस्ते मे चले जाएगे और भ्रष्टाचारी अपने मंसूबो मे कामयाब हो जाएगे । खैर विभागीय राजनीती से हमे कोई सरोकान नही है लेकिन सच्चाई तो पाठको के सामने लानी ही है ताकि अन्य संघो का भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडने का हौसला बना रहे । खैर
*युद्ध अभी शेष है*