आरम्भ सबका जन्म से होता है पर अन्त सबके भिन्न,शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008
वाराणसी14अक्टूबर :सभी प्राणियों का आरम्भ जन्म से होता है पर अन्त कैसा होगा इसमें सबके विचार अलग-अलग हैं। जो स्वयं को केवल शरीर मानता है उसका अन्त तो मृत्यु से होता है पर जो स्वयं को शरीर नहीं मानता उसका अन्त मृत्यु से नहीं होता। श्रीमद्भागवत कहती है जो स्वयं भागवत हो जाता है उसका पर्यवसान मुक्ति से होता है। भागवत का अर्थ है भगवान् का।
उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 ने आज काशी के केदार क्षेत्र के शङ्कराचार्य घाट पर स्थित श्रीविद्यामठ में मुक्ति कथा के अन्तिम दिन की कथा कहते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मोक्ष विचार सभी दर्शनों में अलग-अलग प्रकार के बताए गये हैं। सभी दर्शन में तत्वों की विविध संख्याएं बताई गयी है परन्तु ये संख्याएं ऐसे ही एक है जैसे अनेक लोग सौ रुपये मूल्य का नोट लिए हों पर सबके पास अलग अलग मूल्य के नोट हों।
शङ्कराचार्य जी ने दर्शन शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि दर्शन का अर्थ है जिससे देखा जाए। सामान्य रूप से ऑखों से देखा जाता है इसीलिए ऑखों को दर्शन कहा जाता है पर सब चीजें ऑख से नहीं दिखाई देती। बहुत पास और बहुत दूर की चीजें हम अपनी ऑखों से नहीं देख सकते। इसलिए दर्शन का अर्थ ज्ञान चक्षु, ज्ञान दृष्टि समझना चाहिए जो भगवान् की कृपा से प्राप्त हो सकती है।
ईसाई और इस्लाम के अनुसार भी हुई जीवात्माओं की सद्गति की प्रार्थना
आज श्रीमद्भागवत मुक्ति कथा के बाद मैत्री भवन के फादर यान जी एवं इस्लाम के अतहर जमाल लारी जी ने अपने अपने रिलीजन और मजहब के अनुसार कोरोनाकाल में काल-कवलित हुए असंख्य जीवात्माओं की सद्गति के लिए प्रार्थना पढी।
कार्यक्रम का समापन श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती एवं प्रसाद वितरण से सम्पन्न हुआ।
कथा के अन्तिम दिन आयोजक श्री गौरव तिवारी जी एवं विभा शर्मा जी उपस्थित रहे।
आज होगा करोडों जीवात्माओं के लिए श्राद्ध तर्पण
आज प्रातः 9 बजे से शङ्कराचार्य घाट पर कोरोनाकाल में काल-कवलित असंख्य जीवात्माओं की मुक्ति के लिए आचार्य पं अवधराम पाण्डेय जी के आचार्यत्व में त्रिपिण्डी श्राद्ध एवं तर्पण कार्यक्रम सम्पन्न होगा।
उक्त जानकारी परमाराध्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय के माध्यम से प्राप्त हुई है।