राजनीति

कर्नाटक विधानमंडल में गिरा मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला विधेयक

बेंगलुरु 25 फरवरी :कर्नाटक में 10 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले मंदिरों से कोष एकत्र करने संबंधी कांग्रेस सरकार का विधेयक विधानपरिषद में विपक्षी भाजपा-जद (एस) गठबंधन के चलते गिर गया. कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक 2024 को इस सप्ताह की शुरुआत में विधानसभा से मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद विधेयक को स्‍वीकृति के लिए विधानपरिषद भेजा गया था. विधानमंडल के ऊपरी सदन में यह विधेयक गिर गया. विधानपरिषद में ध्वनिमत से यह विधेयक गिर गया. विधानपरिषद में विपक्षी दलों के पास बहुमत है. इस तरह कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और मुख्‍यमंत्री सिद्दारमैया के मंसूबों पर पानी फिर गया.

विधेयक में 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच वार्षिक आय वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत और 1 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले मंदिरों से 10 प्रतिशत राशि एकत्रित करने का प्रस्ताव था. विधेयक में कहा गया है कि एकत्रित धन को ‘राज्य धार्मिक परिषद’ द्वारा प्रशासित एक साझा कोष में डाला जाएगा, जिसका उपयोग पांच लाख से कम आय वाले ‘सी’ श्रेणी के मंदिरों (राज्य नियंत्रित) के अर्चकों (पुजारियों) के कल्याण के लिए किया जाएगा.

विपक्ष का विरोध

विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष कोटा श्रीनिवास पुजारी ने पुजारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के कदम का स्वागत किया. हालांकि, मंदिरों द्वारा अर्जित राजस्व के दुरुपयोग का विरोध किया. उन्होंने सवाल किया कि सरकार उनके कल्याण के लिए बजट के तहत धन क्यों नहीं दे सकती? विपक्ष ने विधेयक में मंदिर समिति के अध्यक्ष को सरकार द्वारा मनोनीत करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया.

सरकार के आश्‍वासन पर भरोसा नहीं

मुजराई’ मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विपक्ष को समझाने की कोशिश करते हुए सदन को आश्वासन दिया कि सरकार मंदिर समिति के अध्यक्ष के मनोनयन में हस्तक्षेप नहीं करेगी और मंदिरों से साझा कोष में दी जाने वाली प्रस्तावित राशि को भी कम करेगी. विपक्ष ने विधेयक पारित करने से पहले इसमें संशोधन किए जाने पर जोर दिया, जिसको देखते हुए रेड्डी ने सोमवार तक का समय मांगा और कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के साथ इस पर चर्चा करने की जरूरत है, क्योंकि इसमें वित्तीय निहितार्थ शामिल हैं. सभापति के रूप में मौजूद उप सभापति एम. के. प्रणेश ने सोमवार तक का समय न देते हुए कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि सदन पहले ही विधेयक पर विचार कर चुका है. इसके बाद विधेयक पर मतदान हुआ और यह विपक्षी भाजपा-जद(एस) गठबंधन के संख्याबल की वजह से गिर गया.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *