खबर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सविनय असहयोग आन्दोलन की,प्रयागराज में फसे प्रबंधनिदेशक पूर्वांचल बैठक करनी पड़ी निरस्त
लखनऊ 30 मार्च : ऊर्जा निगमो में शीर्ष प्रबन्धन द्वारा घोटाले, भ्रष्टाचार के विरुद्ध पूरे प्रदेश में इंजियरो द्वारा चल रहे जहाँ एक ओर शक्तिभवन मुख्यालय के गेटो को बन्द कर अभियन्ताओ को बाटने की प्रबन्धन की नाकाम कोशिश की जाती है तो दूसरी तरफ आज आंदोलन की चपेट में पूर्वांचल वाले बडकाऊ फँस गए वैसे आंदोलन का असर तो पूरे प्रदेश मे दिखने लगा है चाहे वो डिस्कॉम मुख्यालय हो या परियोजना हो हर जगह आन्दोलन अपना दिखने लगा है क्योंकि इस आन्दोलन का मुख्य कारण उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे बैठे निरंकुश अध्यक्ष व प्रबन्ध द्वारा घोटालो व अन्य अनियमिताओ की जांच की माग है । जब प्रबन्ध अपने द्वारा किये गये गलत निर्णयो की जांच आखिरकार कैसे करा सकता है क्यो कि वो भली प्रकार से उक्त घोटाले को जानते है कि वो किस तरह से लिप्त है इसी लिए पावर कार्पोरेशन का प्रबन्धन जाॅच ना कराने पर अडा हुआ है इसी क्रम मे कुछ ही दिन पूर्व लम्बी छुट्टी से लौटे पूर्वांचल के प्रबंधनिदेशक आज अपनी अनुभवहीना के कारण प्रयागराज मे फस गये ।
आंदोलन में अभियंताओ एवं जूनियर इंजीनियर के शामिल होने के कारण लखनऊ वाले बड़केबाबू के द्वारा जारी फरमान पर इन दिनों समूचा प्रबन्धन मानो अवर अभियंता के रूप कार्य करता नजर आ रहा है क्योंकि जो विभागीय लाइनमैन व सविदा निविदा कर्मी वर्ग कभी सरकार के सामने खड़ा नही हो पाता था आज समूचे प्रबन्धन का वही चहेता और दुलारा बना हुआ है हालात यह है कि प्रबंधनिदेशक से लेकर सभी निदेशकों को लखनऊ मे बैठे सबसे बडे बडका बाबु जिने दस सिर होने कि चर्चा है ने आदेश दिया कि वह अब सीधे लाइनमैन व सविदा निविदा कर्मीयो से सीधे सम्पर्क स्थापित कर बिजली व्यवस्था को चलाने की जिम्मेदारी सभाले इस आदेश के आने के बाद प्रबन्धन भी पूरे जोर शोर से सबसे सम्पर्क साधने मे लग गया क्या यह निजीकरण करने से पहले की कवायद तो नही ?
कि अगर जब प्रदेश मे नियमो का निजीकरण किया जाए तो यह संवाद काम आयेगा क्यो कि पिछली बार इस वर्ग ने सयुंक्त संघर्ष समिति का निजीकरण के खिलाफ साथ दिया था
इसी क्रम में प्रयागराज की बिजली व्यवस्था का हाल जानने और इसी सम्बंध में बैठक करने पूर्वांचल के बड़केबाबू प्रयागराज पहुचे थे परन्तु पहुचने का समय कार्य बहिष्कार का वक्त एक साथ पर होने के कारण वहा के अतिथिगृह में बड़केबाबू के बैठक में आंदोलनकारियो ने हल्ला बोल दिया और आंदोलन कारियो ने प्रबंधनिदेशक गो बैक व प्रबन्ध के विरुद्ध के नारे लगाने शुरू कर दिये सूत्र बताते हैं कि हंगामे को देखते हुए और मौके की नजाकत को भांपते हुए प्रबंधनिदेशक ने अपनी बैठक को निरस्त कर वहाँ से निकलना ही उचित समझा ।
एक तरफ हड़ताल तो दूसरी तरफ प्रबन्ध द्वारा लाइनमैन के माध्यम से क्या निर्बाध विधुत आपूर्ति और बेहतर उपभोक्ता सेवा देने सफल होगो ? सूत्रों की माने तो निर्बाध विद्युत आपूर्ति हेतु संसाधन भी उपलब्ध नहीं है | हालत ये है कि सभी जनपदों के भंडार केंद्र लगभग खाली पड़े हैं | फ्यूज वायर, , एबीसी केबल, लग, फ्यूज वायर, इंसुलेटर, एमसीबी, डॉग/विजल कंडक्टर, सीटी, पीटी, जेड क्लैम्प, केबल ज्वाइंटिंग किट, स्ट्रेट थ्रू, इत्यादि भंडारन से गायब है प्रबंधन की अनुभवहीनता की वजह से फैली दुर्व्यवस्था के कारण भंडार केंद्रों पर कोई भी समान उपलब्ध नहीं है | अभियंताओं द्वारा बार बार मांग करने के बावजूद भी फॉल्ट लोकेटर मशीन भी क्रियाशील नहीं कराई गई है | इसके अतिरिक्त 11 केवी, 33 केवी, भूमिगत केबल के अनुरक्षण संबंधी कार्यों के निविदा भी आमंत्रित नहीं की गई है | इस कारण से गर्मी में निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाए रखना नामुमकिन होगा, खैर अब देखना है कि सरकार क्या कदम उठाती है। क्या इन अनुभवहीन बड़केबाबुओ की कार्यगुजारियो को जनता कैसे झेलेगी क्यो कि अभी से गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है । खैर
युद्ध अभी शेष है