गुरु कृपा चार प्रकार से होती है
21फरवरी2022
01 स्मरण से
02 दृष्टि से
03 शब्द से
04 स्पर्श से
जैसे कछुवी रेत के भीतर अंडा देती है पर खुद पानी के भीतर रहती हुई उस अंडे को याद करती रहती है तो उसके स्मरण से अंडा पक जाता है
ऐसे ही गुरु की याद करने मात्र से शिष्य को ज्ञान हो जाता है।
यह है स्मरण दीक्षा
दूसरा जैसे मछली जल में अपने अंडेको थोड़ी थोड़ी देर में देखती रहती है तो देखने मात्र से अंडा पक जाता है
ऐसे ही गुरु की कृपा दृष्टि से शिष्य को ज्ञान हो जाता है।
यह दृष्टि दीक्षा है
तीसरा जैसे कुररी पृथ्वी पर अंडा देती है,
और आकाश में शब्द करती हुई घूमती है तो उसके शब्द से अंडा पक जाता है
ऐसे ही गुरु अपने शब्दों से शिष्य को ज्ञान करा देता है।
यह शब्द दीक्षा है
जैसे मयूरी अपने अंडे पर बैठी रहती है तो उसके स्पर्श से अंडा पक जाता है
ऐसे ही गुरु के हाथ के स्पर्श से शिष्य को ज्ञान हो जाता है।
यह स्पर्श दीक्षा है