एक झलक

घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ पति और पत्नी दोनों को समान रूप से उठाना पड़ता है – हाईकोर्ट

मुंबई 15 सितंबर :बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा अपनी शादी को खत्म करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आधुनिक समाज में घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ पति और पत्नी दोनों को समान रूप से उठाना पड़ता है. घर की महिला से पूरी तरह से घरेलू जिम्मेदारियां उठाने की उम्मीद करने वाली मानसिकता में सकारात्मक बदलाव की जरूरत है. दरअसल, न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की पीठ एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक पारिवारिक अदालत द्वारा मार्च 2018 में दिए गए उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसकी पत्नी से तलाक की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था. इस जोड़े ने 2010 में बिहार में शादी की और 2011 में पुणे में कोर्ट मैरिज हुआ उसके बाद एक बच्चा भी हुआ.

कोर्ट में एक व्यक्ति ने क्रूरता का आरोप लगाते हुए इस आधार पर तलाक मांगा था कि उसकी पत्नी हमेशा अपनी मां के साथ फोन पर रहती है और घर का काम नहीं करती. दूसरी ओर महिला ने दावा किया कि ऑफिस से घर लौटने के बाद उसे घर का सारा काम करने के लिए मजबूर किया जाता था और जब वह अपने परिवार से बात करती तो उसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. उसने यह भी दावा किया कि उसके अलग रह रहे पति ने कई बार उसके साथ मारपीट भी की.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पुरुष और महिला दोनों कार्यरत हैं और यह अपेक्षा करना कि पत्नी घर का सारा काम करेगी, एक प्रतिगामी मानसिकता को दर्शाता है. वैवाहिक संबंध के परिणामस्वरूप साथी को उसके माता-पिता से अलग नहीं किया जा सकता है और उससे शादी के बाद अपने माता-पिता के साथ सभी संबंध तोड़ने की उम्मीद नही की जा सकती है,

पीठ ने कहा, “किसी के माता-पिता के संपर्क में रहने को किसी भी तरह से दूसरे पक्ष को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के रूप में नहीं माना जा सकता है. हमारे विचार में, प्रतिवादी पर अपने माता-पिता के साथ संपर्क कम करने के लिए प्रतिबंध लगाना वास्तव में पत्नी को शारीरिक क्रूरता के अलावा मानसिक रूप से परेशान करना है. यह जोड़ा 10 साल से अलग रह रहा है. हालांकि पीठ ने कहा कि वह इस आधार पर तलाक नहीं दे सकती कि दोनों की दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं है.”

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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