पूर्वांचल

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

सब्जी फसलों की सुरक्षा हेतु पीड़कनाशियों एवं नये संरूपणों के सुरक्षित प्रयोग हेतु दी गई जानकारियां

रोहनिया9दिसम्बर :आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में पीड़कनाशी संरूपण तकनीकी संस्थान, गुड़गाँव के सौजन्य से शुक्रवार को ’’सब्जी फसलों की सुरक्षा हेतु पीड़कनाशियों एवं नये संरूपणों के सुरक्षित प्रयोग हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कृषि रसायनों, जैव पीड़कनाशियों के पंजीकरण, मानकीकरण, संतुलित व सुरक्षित प्रयोग आदि ज्वलन्त पहलुओं पर किसानों, वैज्ञानिकों एवं उद्यामियों के साथ विभिन्न सत्रों में विचार-विमर्श किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों एवं सब्जी उत्पादकों को पीड़कनाशियों के प्रयोग हेतु जागृत करना था। जिससे सब्जी फसलों में रोगों व कीटों के प्रबंधन हेतु अनुशंसित मात्रा में पीड़कनाशियों का प्रयोग हो सके और गुणवत्तायुक्त सब्जी का उत्पादन किया जा सके।
विशिष्ट अतिथि डा. जीतेन्द्र कुमार निदेशक कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान गुड़गाँव ने कहा कि पीड़कनाशियों का कृषि में प्रयोग आवश्यक होता है क्योंकि इनके प्रयोग से फसलों को रोगों व कीटों से बचाया जा सकता है। केन्द्रीय कीटनाशी मण्डल एवं पंजीकरण समिति द्वारा पीड़कनाशियों के पंजीकरण की दिशा में सुधार करने की बात कहीं। हमारे देश में पीड़कनाशियों का प्रयोग 0.34 किग्रा. प्रति हेक्टेयर है जबकि चीन (13.07 किग्रा.), अमेरिका (2.54 किग्रा.), रूस (0.62 किग्रा.) फ्रांस (4.45 किग्रा.), जापान (11.84 किग्रा.), ब्राजील (5.94 किग्रा.) और वियतनाम (1.66) में पीड़कनाशियों का हमारे देश की तुलना में अधिक प्रयोग हो रहा हैं।मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चन्द, पूर्व निदेशक कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने उद्धाटन सत्र में कहा कि किसानों को कृषि रसायनों का संतुलित प्रयोग करना चाहिये। जिससे फसलों में पीड़कनाशियों के प्रयोग में कमी लायी जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि में जैविक पीडकनाशियों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है।डा. टी.के. बेहेरा निदेशक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने कहा कि वैज्ञानिक ढ़ंग से बताये गये तरीकों से ही किसानों को कृषि रसायनों को अनुशंसित मात्रा में प्रयोग करना चाहिये। डा. बेहेरा ने कहा कि फसलों में प्रति वर्ष रोगों व कीटों से 10-30 प्रतिशत तक नुकसान होता है। पीड़कनाशियों के प्रयोग से संबंधित ज्ञान को किसानों को समझाने की आवश्यकता है। यदि किसानों की मानसिकता को वैज्ञानिकता में बदल दिया जाये तो पीड़कनाशियों का सब्जियों की खेती में समुचित एवं तर्क संगत प्रयोग होने लगेगा। इस कार्यक्रम में लगभग 450 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. डी. आर. भारद्वाज एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. के. के. पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, पौध सुरक्षा विभाग ने किया।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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