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मुस्लिम महिलाओं के हक में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, तलाकशुदा को भी पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार

लखनऊ19अप्रैल:इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मुस्लिम महिलाओं के हक में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। वे इद्दत की अवधि के पश्चात भी दूसरा विवाह करने तक इसे प्राप्त करने के लिए अदालत में दावा दायर कर सकतीं हैं।यह आदेश जस्टिस करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने एक मुस्लिम महिला की ओर से दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया। वर्ष 2008 में दाखिल इस याचिका में प्रतापगढ के एक सत्र न्यायालय के 11 अप्रैल 2008 के आदेश को चुनौती दी गई थी।सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के 23 जनवरी 2007 को पारित आदेश को पलटते हुए कहा था कि मुस्लिम वीमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डिवोर्स) एक्ट 1986 के आने के बाद याची व उसके पति का मामला इसी अधिनियम के अधीन होगा। सत्र न्यायालय ने कहा था कि उक्त अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत ही मुस्लिम तलाकशुदा पत्नी गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है। ऐसे मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 लागू नहीं होती.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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