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वाराणसी विकास प्राधिकरण बना भ्रष्टाचार का अड्डा:एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने विधान परिषद में उठाया मुद्दा: विद्युत विभाग के झूठ का किया जिक्र

वाराणसी 11 अगस्त:विधान परिषद में चल रहे मानसून सत्र के पांचवें दिन सपा एमएलसी ने वाराणसी के विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है।

विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण आज पूरे प्रदेश में बहुत कम ऐसे भवन होंगे जो सभी मानक करते हो पूरा

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा है कि विकास प्राधिकरणों का मुख्य कार्य नगरीय क्षेत्रों में सुनियोजित विकास के उद्देश्य से आवासीय फ्लैट, प्लॉट व कालोनियां विकसित करके उसको जनता को उचित दरों पर उपलब्ध कराना है। विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी विकास एवं निर्माण कार्य किए जाने से पूर्व उ0प्र0 नगर योजना और विकास अधिनियम, 1973 की धारा-15( मानचित्र स्वीकृति) के अधीन अनुज्ञा प्राप्त किया जाना अनिवार्य है, लेकिन आजकल इसका दुरुपयोग चरम पर है। उन्होंने बताया कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर का नक्शा पास कराए बिना भी भवन निर्माण कराया जा सकता है। साथ ही मानचित्र स्वीकृति हेतु प्रस्तावित मानचित्र praposed map 40% set back छोड़ा जाना आवश्यक है लेकिन अधिकांश लोग 100% पर निर्माण करा लेते हैं और ऐसा करने पर शमन मानचित्र कंपाउंडिंग मैप जमा करना होता है और Regulation of building operation Act RBO Act 1973 40% में 20% compound हो जाता है, बचे 20% पर अधिकारियों द्वारा मन मांगा पैसा वसूल किया जाता है, चूँकि विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण आज पूरे प्रदेश में बहुत कम ऐसे भवन होंगे जो सभी मानक पूरा करते हो।

अधिनियम की धाराओं के हो रहा दुरुपयोग, बड़ो पर रहम गरीबो पर सितम

इसके साथ ही आजकल अधिनियम की धारा 27 (नोटिस), 28 (निर्माण कार्य रोकन (2) (पुलिस को सूचना) 27 (1) (ध्वस्तीकरण) का भी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा जबरदस्त दुरुपयोग किया जा रहा है और यह सारी धाराएं गरीब और सामान्य नागरिकों के लिए हहैं, जबकि बड़े-बड़े भवन माफियाओं द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कराए जा रहे हैं, और विकास प्राधिकरण के अधिकारी उन्हें संरक्षण भी दे रहे हैं।

पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम के नवनिर्मित बिल्डिंग की उठी बात

आज व्यवसायिक भवनों के निर्माण के मानचित्र स्वीकृति हेतु विद्युत विभाग, अग्निशमन विभाग, ट्रैफिक, नगर निगम,जल संस्थान व कहीं कहीं पर पुरातत्व विभाग के एनओसी की आवश्यकता होती है जो कि पूरे प्रदेश में शायद ही 5 से 10% लोगों द्वारा ही पूरा किया जाता है। चूँकि प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन सरकार नहीं देती है, इसलिए उन्हें स्वयं ही अपने वेतन की व्यवस्था करनी पड़ती है। साथ ही आउटसोर्सिंग के माध्यम से 12000-15000 रुपये मानदेय पर कर्मचारी व अधिकारी रखे जा रहे हैं, जिससे उनके द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना भी स्वाभाविक है। चूँकि स्थायी भर्ती न करने से यह प्रतीत होता है कि सरकार की ही मंशा है कि विकास प्राधिकरण को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया जाए। वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार में संलिप्तता की गहराई कुछ उदाहरणों से समझी जा सकती है, जिसमें वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक का कार्यालय है जो बिना नक्शा पास कराए बना है।

पूर्वांचल डिस्कॉम सिविल ने विधान परिषद को दी झूठी सूचना

आशुतोष सिन्हा ने नियम 110 के तहत एम0डी0 पूर्वांचल के नव निर्मित पाँच मंजिला भवन के वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृत न होने के सम्बंध में प्रश्न उठाया था, जिसके जवाब में पूर्वांचल सिविल डिस्कॉम ने प्रत्युत्तर दिया कि विद्युत कैम्पस के अंदर उनके किसी भी भवन के मानचित्र स्वीकृत की कोई आवश्यकता नही है। परंतु इसके बाद उन्होंने वीडीए में मानचित्र स्वीकृति हेतु आवेदन कर दिया गया। श्री आशुतोष सिन्हा ने आज दिनांक 11 अगस्त 2023 को विधान परिषद में विभाग द्वारा दी गयी इस झूठी सूचना देने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की गयी तथा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की गयी।

मा०न्यायालय के आदेश का होता उल्लंघन:किसानों को नही मिला उचित मुआवज़ा

उन्होंने कहा कि मा0 उच्च न्यायालय का आदेश है कि गंगा के बाढ़ के उच्चतम बिंदु से 200 मीटर दूरी तक कोई निर्माण नहीं कराया जाना है, लेकिन गंगा जी के घाट से सटा गोदौलिया का मल्टी लेवल पार्किंग, सामने घाट पर गंगा जी से सटा जजेज गेस्ट हाउस, पड़ाव पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का पार्क भी नियम के विपरीत बना हुआ है। मोहनसराय में ट्रांसपोर्ट नगर की प्रस्तावित योजना में खूब भ्रष्टाचार हुआ है। इसमें भू अधिग्रहण कानून 2013 के अधिनियम 24 की धारा 5 ( 1 ) के अनुसार अगर योजना 5 वर्ष में विकसित होकर के चालू नहीं होती है तो योजना नष्ट मानी जाएगी तथा लैंड यूज़ का भी परिवर्तन योजना निरस्त करने के बाद ही किया जा सकता है, लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून वर्ष 2013 के आधार पर वहाँ के किसानों की जमीन का उचित मुआवजा नही मिला है और उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इसी तरह से लालपुर क्षेत्र मे जमीन आवंटन प्रक्रिया एवं दशाश्वमेध क्षेत्र में स्थित चितरंजन पार्क में से सिंधी समाज के लोगों को हटाकर उनका शोषण भी वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है।
ज्ञातव्य हो कि चितरंजन पार्क में देश की आज़ादी के समय से ही दुकान बनाकर रह रहे सिंधी समाज के लोगों को पुलिस व प्रशासन द्वारा लाठी-डंडों के बल पर वहां से हटा दिया गया था, जिसे सपा एमएलसी श्री आशुतोष सिन्हा ने पूर्व में भी सदन में उठाया था।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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