राजनीति

केंद्र सरकार ने देश के कानूनी ढांचे में बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ाए

नई दिल्ली11 अगस्त :केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं. ये तीनों कानून देश में ब्रिटिश काल से लागू हैं. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं. उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा, उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना था और उन्हें मजबूती देना था. उन कानून में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं. अब नए तीनों कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा करेंगे.

उन्होंने कहा, भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा. अमित शाह ने कहा, नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा. शाह ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे. उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे. आज मैं जो 3 विधेयक लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं.

बिल में नया क्या है…

बिल के मुताबिक, नए कानूनों के माध्यम से कुल 313 परिवर्तन किए गए हैं. सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली में पूर्ण बदलाव किया गया है. जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी. – राजद्रोह की सजा बदली गई है. प्रस्तावित धारा 150 में राजद्रोह को लेकर प्रावधान है. राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है. नया प्रावधान 3 साल की कैद को 7 साल की कैद में बदल देता है.

2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज किया जाएगा. किसी भी शख्स को गिरफ्तार किया जाएगा तो उसके परिवार वालों को तुरंत जानकारी दी जाएगी. इसके लिए एक ऐसा पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा.

– 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा. चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.

-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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