विद्युत विभाग:पूर्व चेयरमैन की मनमानियों की निकलती हवा:हाईकोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट तक विभाग का पैसा बर्बाद करने के बाद ऊर्जा प्रबंधन ने किया मनमानी आदेश निरस्त
वाराणासी 20 अगस्त:”“””””””मनमानी औऱ उत्पीड़न पर संघर्ष समिति की बात पर लगती मोहर “””””””'”उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में पूर्व चेयरमैन के नियमो के विरुद्ध जारी कार्यवाहियों के आदेशो की एक के बाद एक की हवा निकलते देखा जा सकता है। हाल में ही एक बर्खास्तगी के मामले में उच्चन्यायालय ने कड़ी टिप्पणी की औऱ नियमो की अनदेखी करने पर पूर्व चेयरमैन औऱ UPPCL चेयरमैन को तलब किया है।
ताजा मामला भी एक अभियन्ता की वेतनवृद्धि रोके जाने से जुड़ा हुआ है,जिसमे ऊर्जा प्रबंध को अपना आदेश खारिज़ करना पड़ा।
सेवानिवृत्त अधिषासी अभियन्ता सदगुरू प्रसाद,तत्कालीन अधिषासी अभियन्ता,बागपत में तैनाती अवधि में जांचोपरांत अनियमितता के लिये प्रबंध निदेशक,पश्चिमांचल निगम,मेरठ के आदेश दिनांक-29.06.2020 द्वारा निंदा प्रविष्ट के साथ संचयी प्रभाव से एक वेतनवृद्धि रोकने औऱ 51,500 रुपये का विधिक अग्रिम डालने की शास्ति प्रदान की थी।
आरोपित दंड के विरुद्ध अधिषासी अभियन्ता ने विभागीय नियमो के तहत अपनी अपील विभाग में की, जिसको निदेशक मंडल ने निरस्त कर दी थी।
अधिषासी अभियन्ता ने प्रदत्त दण्डादेश के विरुद्ध लोक सेवा अधिकरण,लखनऊ में याचिका संख्या-727/2021 योजित की,जिसमे मा०अधिकरण ने अपने आदेश दिनांक-16.09.21 के द्वारा निगम के दण्डादेश को निरस्त कर अपने आदेश का अनुपालन 03 माह में पालन करने का आदेश पारित किया।
अपनी हार न मानते हुए पावर कारपोरेशन पहुँचाउच्चन्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने मा०अधिकरण के आदेश दिनांक-16.09.21 के विरुद्ध उच्चन्यायालय,लखनऊ में याचिका संख्या-18762/2021 योजित की,जिसको मा०उच्चन्यायालय, लखनऊ ने अपने निर्णय दिनांक-27.04.2023 को ख़ारिज कर दी।
अवमानना से बचने के लिए दाख़िल की विशेष अनुमति याचिका
अधिषासी अभियन्ता ने मा०अधिकरण के आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका-39/2022 दाखिल कर दी।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की याचिका मा०उच्चन्यायालय में ख़ारिज होने बाद कारपोरेशन ने मा०सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में विशेष अनुमति याचिका(सिविल) संख्या-22951/ 2023 योजित की,जिसको मा० सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक- 24.07.23 को खारिज कर दी।
हमी हम है के अहम में विभाग के रुपयों की बर्बादी के बाद अंततः कारपोरेशन ने अपना आदेश लिया वापस
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अपने आदेश के बचाव में मा०अधिकरण में फेल होने के बाद औऱ हाइकोर्ट से सुप्रीमकोर्ट तक मे अपने आदेश का बचाव न कर पाने के बाद,नवागत चेयरमैन से अनुमोदन लेने के बाद दिनांक-05.08.23 को अपना दंडात्मक आदेश निरस्त करने का आदेश जारी किया।
बिजलीकर्मचारी का कहना है कि नवागत चेयरमैन को पूर्व चेयरमैन एम०देवराज के ऐसे तमाम आदेशो की समीक्षा करनी चाहिए जिससे विभागीय नियमो को अनदेखा कर आदेश जारी किये गये हो जिससे गलत आदेशो का बचाव करने में विभाग के पैसों की न्यायालयो में अनावश्यक बर्बादी न हो और विभाग की छवि भी धूमिल न हो।