विद्युत विभाग:वर्ल्ड क्लास कंपनी के थर्ड क्लास काम: संविदाकर्मियों के नाम पर विभाग को बनाया कमाई का जरिया: विभाग की होती छवि धूमिल
वाराणसी 18 अगस्त: पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम में जौनपुर,चंदौली,गोरखपुर आदि जिलों में वितरण क्षेत्रो में संविदाकर्मियों की आपूर्ति का ठेका वर्ल्ड क्लास कंपनी को दिया गया। कम्पनी के जिलों के सुपरवाइजरो के द्वारा मनमानी औऱ 50-50 हज़ार की रकम लेकर संविदाकर्मियों को भर्ती की शिकायतो के बाद भी प्रबंधन की चुप्पी से अब कम्पनी के सुपरवाइजर के द्वारा फर्जी नियुक्ति पत्र औऱ पहचान पत्र दे कर विभाग में भर्ती कराने के कारनामे का खुलासा हुआ।
जौनपुर,चंदौली के बाद गोरखपुर में फर्जीवाड़ा
कंपनी के सुपरवाइजर ने 6 लोगों को नियुक्ति पत्र देकर विद्युत वितरण खंड-द्वितीय में सुविधा शुल्क ले कर श्रमिक में भर्ती किया औऱ काम पर लगा दिया। 4 माह से वेतन न मिलने पर श्रमिको ने खंड के अधिकारी से शिकायत की पर भी वेतन नही मिला।श्रमिको ने परेशान हो कर अधीक्षण अभियंता से शिकायत की तो पता चला कि उनका नियुक्ति पत्र ही फर्जी है। जांच करने पर पता चला की ये कारनामा कम्पनी के सुपरवाइजर ने किया है अभी तक 6 लोगों को नियुक्ति पत्र फर्जी निकले है।
सुपरवाइजर औऱ लिपिक का मज़बूत गठजोड़
फर्जीवाड़ा करने में कम्पनी के सुपरवाइजर के साथ अधीक्षण अभियंता कार्यालय के लिपिक भी शामिल है जिनके द्वारा ही सुविधा शुल्क वसूला गया औऱ सुपरवाइजर तक बंदरबांट की गई है।
कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति
फर्जीवाड़े में वर्ल्ड क्लास कम्पनी के थर्ड क्लास काम को अधीक्षण अभियंता ने निपटाते हुए ठगे गए श्रमिको का सुविधा शुल्क वापिस करते हुए फर्जीवाड़े से विभाग की छवि धूमिल होने औऱ विभागीय नियमो के विपरीत कार्य करने वाले सुपरवाइजर को हटा कर नये सुपरवाइजर की मांग के लिए पत्र लिख।
जबकी विभाग की छवि धूमिल करने औऱ विभागीय नियमो के विरुद्ध कार्य करने पर ऐसी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट का विभाग से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता की आवाज ने 26 जून को कम्पनी के भ्रष्टाचार और मनमानी की खबर शीर्षक विद्युत विभाग: हड़ताल के बाद कार्यदायी फर्मो के भ्रष्टाचारी कारनामे: अधिकारियो की मिलीभगत से खुला कमाई का दरवाजा: संविदा के नाम पर करोड़ो हुए इधर-उधर के माध्यम से आवाज उठाई थी।
जिसमे जौनपुर औऱ चंदौली जिलो में विभाग में बिजलीकर्मियों की हड़ताल के बाद से विभाग में मैन-पावर सप्लाई करने वाली फार्मो के द्वारा हड़ताल के दौरान प्रबंधन के फ़रमान पर निकाले गए संविदाकर्मियों की जगह नए संविदाकर्मियों की भर्ती के नाम पर प्रति संविदा कर्मी से मोटी रकम ले कर भर्ती की जा रही है
जिसमे निम्न सबूतों के हवाला भी दिया गया औऱ जांच की मांग की गई
हड़ताल से पहले जौनपुर पूरे जनपद में कुशल औऱ अकुशल संविदाकर्मियों की संख्या निम्न थी
हड़ताल से पहले
#कुशल संविदा कर्मी- लगभग 361
#अकुशल संविदा कर्मी- लगभग 617
कुल कर्मी- 978
हड़ताल के बाद
##कुशल संविदा कर्मी- लगभग 500
##अकुशल संविदा कर्मी- लगभग 728
कुल कर्मी- 1228
जौनपुर शूत्रो के अनुसार फर्म द्वारा नई भर्ती के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 50-50 की वसूली की गई है।
सवाल उठता है कि हड़ताल से पहले औऱ हड़ताल के बाद के संविदाकर्मियों की संख्या में भारी कमी औऱ वृद्धि क्या टेंडर की शर्तों को पूर्ण करती है?
क्या हड़ताल से पहले टेंडर के अनुसार संविदाकर्मियों की संख्या कम थी या बराबर?
क्या हड़ताल के बाद टेंडर के अनुसार संविदाकर्मियों की संख्या ज्यादा है या बराबर?
जनपद जौनपुर में संविदाकर्मियों की आवश्यकता के अनुसार किये गए टेंडर के LOI का पालन हड़ताल से पहले हुआ या हड़ताल के बाद हुआ?
जनपद जौनपुर में संविदाकर्मियों की कमी/वृद्धि बगैर विभागीय अधिकारी की जानकारी बगैर कैसे संभव है?
LOI के अनुसार क्या फर्म के द्वारा संविदाकर्मियों की आपूर्ति कम की या ज्यादा की?
LOI की बीजक भुगतान हेतु निर्धारित शर्तो के अनुसार फर्म द्वारा बिजको को प्रस्तुत किया गया या नही?