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विद्युत विभाग:विशेष अपील: व्यक्तिगत तलबी से पूर्व चेयरमैन एम०देवराज को नही मिली राहत:जाने क्या है मामला

वाराणासी 19 अगस्त: माननीय उच्चन्यायालय में बर्खास्तगी के विरुद्ध दाखिल याचिका में दिनांक-18.08.23 को UPPCL के पूर्व चेयरमैन एम०देवराज को व्यक्तिगत रूप में पेश होकर जवाब/स्पष्टीकरण देने औऱ की गई टिप्पणी के ख़िलाफ़ पूर्व चेयरमैन के द्वारा मामले में राहत के लिए विशेष अपील दाख़िल की,जिसका डबल बेंच ने बिना राहत के निस्तारण कर दिया।

एम०देवराज के पक्ष के अधिवक्ता की दलीलो के कुछ बिंदु

विशेष अपील में एम०देवराज के पक्ष में अधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील पेश करते हुऐ कहा गया कि याचिका-12847/2023 राकेश कुमार शर्मा बनाम ऊ०प्र०पावर कारपोरेशन व 4 अन्य में दिनांक-07.08.23 को पारित आदेश में एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी औऱ अनावश्यक व्यक्तिगत रूप से तलब किये जाने का आदेश पारित किया है जबकी बर्खास्तगी का आदेश पूर्व चेयरमैन एम०देवराज द्वारा UPPCL पुनरीक्षण प्राधिकारी/अध्यक्ष के रूप में पारित किया गया था। याचिका में अपमानजनक टिप्पणी की गई है जिसके परिणामस्वरूप संपार्श्विक परिणाम हो सकते है। साथ ही यह भी कहा गया कि एम०देवराज को याचिकाकर्ता के कहने पर नही,बल्कि न्यायालय की अपनी राय पर पक्षकार बनाया गया है साथ ही प्रतिकूल टिप्पणियां की औऱ उनसे अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा की,किसी भी मामले में एम०देवराज को पक्षकार बनाये जाने का अदालत के समक्ष लाये विवाद से कोई संबंध नही है। याचिका में दिए गए आदेश का बचाव UPPCL के द्वारा किया जाना है,जवाबी हलफनामा दाख़िल किया जाना।

UPPCL के पक्ष के अधिवक्ता की दलील

विशेष अपील में UPPCL की तरफ़ से अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव ने  गोयल की दलीलों को स्वीकार कर UPPCL जिनका स्पष्टीकरण आदेश में मांगा गया है एकल न्यायाधीश के समक्ष अनुपालन का अपना हलफनामा दाख़िल करेंगे।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलो के कुछ बिंदु

दूसरी तरफ राकेश कुमार शर्मा के पक्ष में अधिवक्ता मनु मिश्रा ने दलील पेश करते हुए कहा कि विशेष अपील एक इंट्रा-कोर्ट अपील होने के कारण सुनवाई योग्य नही है क्योंकि विवादित आदेश एक साधारण अंतरिम आदेश है, उस आदेश में की गई टिप्पणियां केवल अस्थायी है जो न्यायालय द्वारा बनाई गई प्रथम दृष्टया राय पर आधारित है अभी तक कोई अंतिम निर्णय नही लिया गया है केवल एक स्पष्टीकरण मांगा गया है उन परिस्थितियों को समझने के लिए जिनमे पुनरीक्षण प्राधिकारी ने स्वम् दंड बढ़ाया होगा।

कोर्ट के निर्णय के कुछ बिंदु

विशेष अपील में दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद डबल बेंच ने कहा कि हम उल्लेखित तथ्यों को ध्यान में रखते हम देखते है कि विद्वान एकल न्यायाधीश व्यक्त किये गए विचार केवल प्रथम दृष्टया राय है जो असंयमित भाषा मे व्यक्त नही किये गए है जैसा की देखा जा सकता है कि पुनरीक्षण प्राधिकारी को कोई चोट पहुँची हो, हम इस स्तर पर वर्तमान अपील में विचार करने के लिए इस मामले में अपने सीमित क्षेत्राधिकारो का प्रयोग करने से इनकार करते है। अधिवक्ता मनीष गोयल की प्रार्थना पर स्पष्टीकरण 2 दिनों में एकल न्यायधीश के समक्ष पेश करने का समय देते हुए प्रस्तुत विशेष अपील कोई ऑर्डर किये बिना निस्तारण किया।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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