विद्युत विभाग: हड़ताल के बाद कार्यदायी फर्मो के भ्रष्टाचारी कारनामे: अधिकारियो की मिलीभगत से खुला कमाई का दरवाजा: संविदा के नाम पर करोड़ो हुए इधर-उधर
वाराणसी 26 जून : विभाग में बिजलीकर्मियों की हड़ताल के बाद से विभाग में मैन-पावर सप्लाई करने वाली फार्मो के द्वारा हड़ताल के दौरान प्रबंधन के फ़रमान पर निकाले गए संविदाकर्मियों की जगह नए संविदाकर्मियों की भर्ती के नाम पर प्रति संविदा कर्मी से मोटी रकम ले कर भर्ती की जा रही है यही नही जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत से निकाले गए संविदाकर्मियों के सापेक्ष अधिक संविदाकर्मियों को भर्ती किया जा रहा है। ठेकेदार औऱ विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किये जाने की खबर है।
वर्ल्ड क्लास कम्पनी का थर्ड क्लास कारनामा
उल्लेखनीय है की संघर्ष समिति के आव्हान पर बिजलिकर्मियो के साथ संविदाकर्मियों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर कार्यबहिष्कार/हड़ताल की गई थी जिसपर ऊर्जा प्रबंधन के फ़रमान के बाद हड़ताल में शामिल बिजलिकर्मियो औऱ संविदाकर्मियों पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही कर कार्यदायी फर्मो द्वारा संविदाकर्मियों को बर्खास्तगी की गई थी।
जौनपुर जनपद में हो रहा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार औऱ संविदा घोटाला, करोड़ो की हूई कमाई
हड़ताल के दौरान जौनपुर जनपद में भी फर्म द्वारा संविदाकर्मियों को बर्खास्त किया गया था
हड़ताल से पहले जौनपुर पूरे जनपद में कुशल औऱ अकुशल संविदाकर्मियों की संख्या निम्न थी
हड़ताल से पहले
#कुशल संविदा कर्मी- लगभग 361
#अकुशल संविदा कर्मी- लगभग 617
कुल कर्मी- 978
हड़ताल के बाद
##कुशल संविदा कर्मी- लगभग 500
##अकुशल संविदा कर्मी- लगभग 728
कुल कर्मी- 1228
जौनपुर शूत्रो के अनुसार फर्म द्वारा नई भर्ती के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 50-50 की वसूली की गई है।
सवाल उठता है कि हड़ताल से पहले औऱ हड़ताल के बाद के संविदाकर्मियों की संख्या में भारी कमी औऱ वृद्धि क्या टेंडर की शर्तों को पूर्ण करती है?
क्या हड़ताल से पहले टेंडर के अनुसार संविदाकर्मियों की संख्या कम थी या बराबर?
क्या हड़ताल के बाद टेंडर के अनुसार संविदाकर्मियों की संख्या ज्यादा है या बराबर?
जनपद जौनपुर में संविदाकर्मियों की आवश्यकता के अनुसार किये गए टेंडर के LOI का पालन हड़ताल से पहले हुआ या हड़ताल के बाद हुआ?
जनपद जौनपुर में संविदाकर्मियों की कमी/वृद्धि बगैर विभागीय अधिकारी की जानकारी बगैर कैसे संभव है?
LOI के अनुसार क्या फर्म के द्वारा संविदाकर्मियों की आपूर्ति कम की या ज्यादा की?
LOI की बीजक भुगतान हेतु निर्धारित शर्तो के अनुसार फर्म द्वारा बिजको को प्रस्तुत किया गया या नही?
हड़ताल से पहले संविदाकर्मियों की कमी के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है?
वैसे जौनपुर जानपद में हडताल से पहले औऱ हड़ताल के बाद बिजली आपूर्ति व्यवस्था औऱ विभागीय राजस्व में कोई वृद्धि/परिवर्तन नही हुआ अपितु संविदाकर्मियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि जरूर हुई है।
पड़ताल अभी जारी है……….…