विद्युत विभाग:””””””‘”””””””” IPDS घोटाला मामला””””””””””” सामग्री का इनवॉइस नही: कार्य का हो गया भुगतान: 20-25 करोड़ का हुआ गोलमाल: सभी हुए मालामाल?विभाग होता कंगाल?
वाराणासी 24 जुलाई: पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम में वाराणासी शहर में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम(IPDS)के तहत वर्ष-2019 में नगरीय विद्युत वितरण मंडल-प्रथम औऱ द्वितीय के अन्तर्गत वाराणासी शहर में HT/LT ओवर-हेड लाइनो को अंडरग्राउंड करने,नये विद्युत ट्रांसफार्मर लगाने, पुराने ट्रांसफार्मर को उच्चीकरण करने, उपभोक्ताओ को अंडरग्राउंड तारो से बिजली कनेक्शन देने औऱ बाकी IPDS से सम्बंधित कार्य हेतु टेंडर निकाला गया।
टेंडर संख्या-469/MD/PuVVNL(V)/P-2/EAV.128/2018-19 दिनांक-14.03.2019 अन्तर्गत मेशर्स टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को लेबर रेट पर दिया गया।
टाटा प्रोजेक्ट्स ने 113 करोड़ का किया कार्य
टाटा प्रोजेकट्स के द्वारा नगरीय वितरण मंडल-प्रथम के अंतर्गत इलाको मे लगभग 62 करोड़ का औऱ नगरीय वितरण मण्डल-द्वितीय में लगभग 51 करोड़ का कार्य किया।
करोड़ के खेल में सभी शामिल
टाटा प्रॉजेक्ट्स ने वाराणासी कैंट, लहुराबीर, भोजूबीर, कचहरी चौराहा, सामनेघाट, बड़ीगैबी आदि इलाको में किये गये कार्यो का फाइनल BOQ नगरीय वितरण मंडल-द्वितीय को दिनांक- 31.08.2021 को दिया।
फाइनल BOQ के कार्यो का भौतिक सत्यापन कर तत्कालीन मुख्य अभियंता, वितरण, वाराणासी क्षेत्र को दिनांक-02.09.2021 को तत्कालीन अधीक्षण अभियंता नगरीय वितरण मण्डल-द्वितीय द्वारा अग्रिम कार्यवाही हेतु भेजा गया जिसपर अधिषासी अभियन्ता नगरीय विद्युत निर्माण खंड-प्रथम और द्वितीय के अलावा नगरीय वितरण मण्डल-प्रथम औऱ द्वितीय के हस्ताक्षर है।
DDO ने अस्वीकार किया निर्माण खंड-द्वितीय का एडवांस ट्रान्सफर डेबिट(ETD)
सूत्रों के अनुसार विद्युत निर्माण खण्ड-द्वितीय के द्वारा लगभग 22 करोड़ के किये गये कार्यो का सामग्री इनवॉइस न होने पर भी भौतिक सत्यापन कर ETD जारी कर दिया। जिसको अब IPDS के DDO नगरीय वितरण मण्डल-प्रथम द्वारा स्वीकर नही किया जा रहा है।
खबर का असर, प्रबंधन ने दिया जांच का आदेश
एक तरफ अधिषासी अभियन्ता सुभाष चंद्रा द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप का खंडन किया गया वही दूसरी ओर उपभोक्ता की आवाज की खबर का संज्ञान लेकर पूर्वान्चल डिस्कॉम द्वारा मुख्य अभियन्ता, वितरण, वाराणासी क्षेत्र को मामले मे जांच कर आख्या 3 दिनों में दिने का निर्देश दिया गया।अगर जांच ईमानदारी एवं निष्पक्षता से हुई तो मामले में बड़े खुलासे हो सकते है देखना लाज़मी होगा कि जांच किस दिशा में जाती है।जंहा पर 22 करोड़ की इनवॉइस नही होने की बात सम्बंधित अधिषासी अभियन्ता ने स्वीकर किया है औऱ एक फर्म को 5 लाख का भुकतान ERP पर दो बार हुआ
वही उपमुख्य लेखाधिकारी ने उपभोक्त की आवाज़ को बताया औऱ खंडन किया की उनके द्वारा मामले में भुगतान के सम्बंध में कोई जानकारी नही है औऱ न ही मामले में जाँच की गई है, न ही उन्होंने अधिषासी अभियन्ता कार्य खंड-द्वितीय सुभाष चंद्रा को बुलाया है। लेकिन ये भी कहा की रेंडमली जांच करने गये थे कार्यालय में मुझे कोई पत्रावली नही मिली।जब की अधिषासी अभियन्ता के द्वारा बताया गया कि उपमुख्य लेखाधिकारी ने उन्हें बुलाया है सूत्र बात रहे है कि उपमुख्य लेखाधिकारी औऱ सुभाष चंद्रा के बीच कार्यालय में लंबी बात-चीत हूई।
दूसरी तरफ सुभाष चंद्रा अधिषासी अभियन्ता निर्माण खंड-द्वितीय ने किसी प्रकार के भ्रष्टाचार होने का खंडन किया है।