विद्युत विभाग: IPDS घोटाले की जाँच में पूर्वान्चल निगम के मुखिया का कारनामा:घोटालेबाजो के संरक्षण में जाँच समिति की जांच डिब्बा बंद:जांच पस्त भ्रष्टाचारी मस्त
वाराणासी 2 नवंबर:””””””””””पूर्वान्चल में गोलमाल,करोड़ो के घोटाले को दो-दो जांच समिति बना कर मामला उलझाया”””””””
IPDS घोटाले की जांच के लिए बनी पहली जांच समिति के डिब्बा बंद होने के बाद पूर्वान्चल के मुखिया के द्वारा बनी दूसरी जांच समिति का नही कोई अता-पता,घोटालेबाजो से गलबहियां करते जाँच समिति के सदस्य।
घोटाले में प्रबंध निदेशक शम्भू कुमार द्वारा पहली जाँच समिति के बाद दूसरी जाँच समिति बनाना औऱ दोनों ही जाँच समितियों का धरातल पर जांच न करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना औऱ घोटालेबाजो को लूट की खुली छूट देने लक्षित होता है
पहली 2 सदस्यों की जांच समिति 3 माह पहले बनी,जो घोटालेबाजो से धनउगाही में लगी रही
दूसरी 2 सदस्यों की जाँच समिति 1 माह पहले बनी,जो अभी कागजो में सिमटी है औऱ कागज़ पूर्वान्चल मुख्यालय में अधिकारियो के टेबल टेबल घूम रहा है
दूसरी तरफ़ घोटालेबाजो का दोनों जाँच समितियों के सदस्यों के कमरों में चाय पानी करते देखे जा सकते है।
उल्लेखनीय है कि IPDS घोटाले का केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के संज्ञान लेने के बाद पूर्वान्चल प्रबंधन के निर्देश पर मुख्य अभियंता, वाराणासी के द्वारा मामले की जांच के लिए 2 सदस्यों की समिति बनाई थी,जो मामले में आरोपियों से ही धनउगाही करने में लग गई,जिसकी जाँच का आज तक कोई अता-पता नही है।
उपभोक्ता की आवाज के द्वारा प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत वाराणासी में शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने के लिए शहर में फैले बिजली के तारो को अंडरग्राउंड करने के लिए केंद्र सरकार की IPDS योजना में हुए 25-30 करोड़ के घोटाले की ख़बर उठाये जाने के बाद ऊर्जा प्रबंधन के निर्देश पर पूर्वान्चल निगम ने दिनांक-24.07.23 के द्वारा मुख्य अभियंता,वाराणासी क्षेत्र को सौपते हुए 3 दिनों में जांच आख्या स्पष्ट अभिमत सहित उपलब्ध करने के आदेश दिये।
जाँच अधिकारी ने प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप में घोटालेबाजो को लीपापोती का दिया समय
तत्कालीन मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा के द्वारा मामले में 10 दिनों तक कुछ नही किया और लीपापोती करते हुए ,मामले में संभावित आरोपियों से ही आख्या माँगते रहे। जांच अधिकारी तत्कालीन मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा को जांच रिपोर्ट सौंपने से पहले ही 4 अगस्त को तबादला एक्सप्रेस के षड्यंत्रकारियो ने पद से हटवा कर IPDS घोटालेबाजो को राहत देते हुऐ निगम मुख्यालय से संबद्ध करवा लिया।
निगम मुख्यालय ने भी जांच किये जाने औऱ आख्या मांगने का आदेश कर कुम्भकर्णी नींद में सो गया।
पहली जांच समिति को 3 दिनों में करनी थी,आज तक नही हो पाई जांच।
भ्र्ष्टाचार और भ्र्ष्टाचारीयों के के विरुद्ध युद्ध अभी शेष है