एक झलक

विधि आयोग ने सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य करने की सिफारिश, जोड़े जा सकते है स्कूली पाठ्यक्रम में

दिल्ली 1अक्टूबर :विधि आयोग ने बच्चों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य करने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में आयोग ने बच्चों को यौन उत्पीड़न और इसके विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी देने और जागरूकता अभियान चलाने का सुझाव दिया है। विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अगुवाई में तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए जरूरी है कि उनको चाइल्ड सेक्सुल एब्यूज के बारे में जागरूक किया जाए।

आयोग ने यह भी कहा है कि पाठ्यक्रम में बच्चों को उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले विभिन्न शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी देने की जरूरत है। आयोग ने कहा है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे सरकारी योजनाओं का उपयोग देश की किशोर आबादी को चाइल्ड सेक्सुल एब्यूज और इस विभिन्न रूपों की जानकारी देने में किया जाना चाहिए ।

विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र को 18 साल से कम नहीं करने की भी सिफारिश की है। हालांकि, आयोग ने इस रिपोर्ट में सरकार से आईपीसी की धारा 375, 376 में बदलाव की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि यदि इन धाराओं में संशोधन नहीं किया तो 16 से 18 साल तक के किशोरों के सहमति से संबंधित यौन संबंधों के मामले में पॉक्सो अधिनियम के तहत न्यायिक विवेक प्रदान करने से स्थिति पूरी तरह हल नहीं होगी। मामले में यदि पीड़िता18 साल से कम है तो आईपीसी की धारा 375 के खंड छठे को आरोपी के खिलाफ लागू किया जा सकता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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