शुरु हुआ विश्व प्रसिद्ध रामनगर की लीला का मंचन, करीब 240 साल पुराना है इतिहास
वाराणसी29 सितंबर : अनंत चतुर्दशी से वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन शुरू हो गया है, जो पूरे एक महीने तक चलेगा। शाम पांच बजे रामबाग लीला स्थल में रावण जन्म और रामावतार की भविष्यवाणी के साथ ही दुनिया के अनूठे रंगमंच का पर्दा उठेगा। काशी इस लीला का इतिहास करीब 240 साल पुराना है, आज भी काशी नरेश इस लीला का मंचन देखने रोजना पहुंचते है।
विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के पहले दिन गुरुवार को रावण जन्म की लीला हुई। जन्म होते ही रावण ने ब्रह्मा से वर मांगा कि वानर और मनुष्य को छोड़ मैं किसी की हाथों न मरुं। वरदान पाने के बाद अति उत्साह में रावण ने देवताओं पर घोर अत्याचार शुरू कर दिया।
कुम्भकरण छह महीने सोने और एक दिन जागने का वरदान मांगा। विभीषण भगवान के चरणों में अनुराग का वर मांगा। इसके बाद में प्रसंग में ब्रह्माजी लंकिनी से कहते हैं राक्षसों का यह राजा बहुत दिनों तक साम्राज्य फैलाएगा लेकिन जिस दिन कोई वानर आकर तुमको घूंसा मरेगा समझ लेना राक्षसों के संहार होने वाला है। माल्यवान, रावण को त्रिकुट पर्वत पर बसी लंका में निवास की सलाह देता है। दूत कुबेर को बताता है कि रावण उन पर आक्रमण के लिए आया है। रावण राक्षसों को आज्ञा देता है कि देवताओं का कोई भी यज्ञ होम न होने पाए। मेघनाथ ने इंद्र को पकड़ लिया लेकिन ब्रह्माजी के ब्रह्मास्त्र देने पर उसने इंद्र को छोड़ दिया। रावण ने देवताओं पर हमला बोल दिया। पुराण पढ़ने पर देवताओं को आग के हवाले करने की चेतावनी दी। देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की गुहार लगाई। तभी भविष्यवाणी हुई कि तुम लोग डरो मत। हम तुम्हारे लिए मनुष्य का तन धारण करेंगे। इन प्रसंगों के करीब डेढ़ घंटे अंतराल के बाद लीलाप्रेमियों ने क्षीरसागर की भव्य झांकी के दर्शन किए। इसी के साथ पहले दिन की रामलीला को विराम दिया गया।
किले से निकली शाही सवारी
रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के पहले दिन किले से बाघम्बरी बग्धी की शाही सवारी निकलते ही लोगों ने हर हर महादेव के उदघोष से काशीराज परिवार के प्रतिनिधि अंनत नारायर्ण सिंह का अभिनंदन किया। अनंतनारायण सिंह शाही हाथ जोड़कर अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़े। गुरुवार की शाम शाही सवारी किला से चौक होते हुए रामबाग पहुंची। नगरवासी राज परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए कतार में खड़े होकर अभिवानदन करते रहे।
युवा बढ़े नेमियों की रही कमी रामनगर की रामलीला के पहले दिन सुखद और दुखद दोनों ही पहलु सामने आए। सुखद यह रहा कि रामलीला में जुटी भीड़ में युवओं की अधिकता रही। विश्व प्रसिद्ध रामलीला के विभिन्न पहलुओं को जानने की जिज्ञासा भी युवाओं में दिखी। वहीं दुखद यह रहा कि परंपरागत नेमियों की संख्या में काफी कमी दिखी।