पूर्वांचल

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन की जो व्यवस्था कई वर्षों से निर्धारित है उसमे कोई बदलाव नहीं किया गया-कौशल राज शर्मा

वाराणसी 6 जनवरी :श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में हाल ही मे स्पर्श दर्शन के लिए 86 वीआईपी, वीआईपी लोगों के छोड़कर बाकी लोगों से शुल्क लागू होने की खबर सामने आई थीं। इस मामले में आज अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार को ट्वीट कर घेरा। मामले को बढ़ता देख अब कमिश्नर कौशल राज शर्मा की ओर से बयान जारी कर इसतरह के किसी भी प्रकार के किसी भी शुल्क लगने की बात को सिरे से खारिज किया गया है।

मंदिर में सब श्रद्धालु दर्शन के अधिकारी हैं। प्रतिदिन यहाँ 1.25-1.5 लाख लोग दर्शन करते हैं, रविवार या विशेष दिनों में संख्या 2.5 लाख प्रतिदिन होती है और पर्वों आदि पर 6 लाख प्रतिदिन से भी ज़्यादा होती है। ये सब लोग ही मंदिर के प्रति श्रद्धा के महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं।

सभी श्रद्धालु मंदिर के भीतर चारों गेट से प्रवेश करते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रतिदिन दर्शन कराए जा सकें।
प्रतिदिन स्थानीय नियमित दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का अलग से पास बना है जो प्रतिदिन आ सकते हैं।
स्पर्श दर्शन के टाइमिंग अलग अलग महीने में अलग अलग घंटों में निर्धारित होते हैं जिसमें सभी श्रद्धालु उस समयावधि में स्पर्श दर्शन भी कर सकते हैं।
उपरोक्त सभी व्यवस्था निःशुल्क है और कई वर्षों से निरंतर चल रही है।

वर्षों पहले मंदिर में कम समय में बिना लाइन के दर्शन करने हेतु सुगम दर्शन व्यवस्था लागू हुई थी जिसमें 300 रुपये की सहयोग धनराशि से मंदिर के एक शास्त्री दर्शन करा के लाते हैं।

इसके अतिरिक्त प्रोटोकॉल व्यवस्था है जिसमें प्रोटोकॉल के अनुसार निःशुल्क दर्शन कराये जाते हैं। इसके समय निर्धारण करना कठिन होता है इसलिए ये भी सामान्यतः पूरे दिन चलता है।

ऊपर की वर्षों पूर्व चली आ रही व्यवस्था में ना कोई नई व्यवस्था जोड़ी गई है ना घटाईं गई है।

जनवरी माह की शुरुआत से केवल प्रोटोकॉल व्यवस्था के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास प्रारंभ हुआ है। गत 3-4 माह से विभिन्न विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों व अधिकारियों के माध्यम से प्रोटोकॉल हेतु बनाये गये सेल के माध्यम से दर्शन ना करा कर सीधे दर्शन करा दिये जा रहे हैं। मंदिर की स्टेट लेवल सिक्योरिटी कैमेटी ने काफ़ी महीनों पहले इस हेतु ट्रस्ट, पुलिस और सीआरपीएफ़ की एक जॉइंट सेल की व्यवस्था की है जो गेट नंबर 4 के भीतरी हिस्से में है। प्रोटोकॉल के लोग वहाँ नोट हो कर दर्शन हेतु भेजे जाते हैं। जो लोग वहाँ ग़लत आ जाते हैं उनके 300 रुपये से सुगम दर्शन करा दिये जाते हैं।

प्रोटोकॉल की इस व्यवस्था को बाइपास करने से प्रथमतः कार्य अनुशासित नहीं रहता, दूसरा जो लोग सुगम दर्शन करने में सक्षम हैं और प्रोटोकॉल के अन्तर्गत नहीं आते उनके इस प्रकार निःशुल्क दर्शन से उनसे मंदिर की आय में फ़र्क़ पड़ता है, तीसरा इस प्रकार बायपास देख कर अन्य विभाग या कर्मचारी प्रेरित होते हैं और यह बढ़ता ही चला जाता है, मंदिर के निशुल्क दर्शनार्थियों को भी इससे बुरा महसूस होता है।

मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन जिन विभागों के माध्यम से ज़्यादा होते हैं उनको इस संबंध में दिसंबर माह के अंत में ही पत्र जारी कर दिया गया था कि प्रोटोकॉल के नाम पर अन्य लोगों को दर्शन ना करायें और उस पर रोक लगायें। अब ये विभागों की ज़िम्मेदारी बनती है कि प्रोटोकॉल व्यवस्था का दुरुपयोग ना हो और जो लोग सुगम दर्शन कर सकते हैं उनको बिना कारण प्रोटोकॉल व्यवस्था ना दें। पत्र में यह व्यवस्था भी वर्णित है कि कोई व्यक्ति जो प्रोटोकॉल सूची में नहीं भी है उनको भी ट्रस्ट के माध्यम से प्रोटोकॉल व्यवस्था के तहत दर्शन कराए जा सकते हैं। वाराणसी में देश विदेश से इसे बहुत से लोग आते ही रहते हैं। इसमें आम और ख़ास सभी लोग समाहित हैं, इसकी कोई निश्चित श्रेणी नहीं बन सकती।
देश के प्राय सभी मंदिरों में सुगम दर्शन व्यवस्था लागू है और उनकी अलग अलग सहयोग राशि है। वाराणसी में भी ये व्यवस्था वर्षों से लागू है, जिन्हें समय की जल्दी नहीं है उनको यह लेने की आवश्यकता भी नहीं है, उनका पूर्णतः निःशुल्क दर्शन हेतु मंदिर में हमेशा स्वागत है। सुगम दर्शन करने वालों का प्रतिशत एक प्रतिशत से भी काफी कम है।

ट्रस्ट द्वारा विभागों को प्रोटोकॉल के दुरुपयोग को रोकने हेतु जारी दिसंबर माह के पत्र को कुछ लोगों द्वारा किसी नयी प्रोटोकॉल या नयी सुगम दर्शन व्यवस्था के नाम से प्रचारित कर दिया गया है जो पूरी तरह ग़लत है।

जैसा कि वर्णित किया जा चुका है ना कोई व्यवस्था जोड़ी गई है, ना घटाई गई है ना बदली गई है।

इसी क्रम में मंदिर के डिप्टी कलेक्टर का वाराणसी पुलिस कमिश्नर के नाम एक ड्राफ्ट पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसके संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि ऐसा कोई पत्र कभी जारी नहीं हुआ।
ट्रस्ट की तरफ से पुलिस सहित किसी भी विभाग को कोई शिकायती पत्र नहीं भेजा गया है।
इसकी जांच कराई जा रही है कि ये किसने टाइप करके शरारतन वायरल किया है और ये कब से वायरल है। ट्रस्ट के अधिकारियों द्वारा सभी सर्विस की गरिमा के अनुसार कार्य किया जाता है जिसके उनको विशेष निर्देश दिए गए हैं।
ट्रस्ट के अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ साथ पुलिस, सीआरपीएफ और सभी प्रकार के सुरक्षा कर्मी मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था का अभिन्न अंग हैं और सब मिल कर एक टीम की तरह मंदिर की सभी व्यवस्थाओं को संचालित करते हैं।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *