सद्गुरु ही भवसागर पार लगा सकता है – संत मुरलीधर
वाराणसी 16 जुलाई। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के 115 वें प्राकट्य महोत्सव का शनिवार को भव्य शुभारंभ हुआ। प्रथम दिवस जोधपुर, राजस्थान से पधारे प्रख्यात कथावाचक संत श्री मुरलीधर जी महाराज के श्रीमुख से श्री राम कथा का शुभारंभ हुआ। दुर्गाकुंड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ प्रांगण में अखिल भारतीय धर्मसंघ के तत्वावधान में मास पर्यंत चलने वाले राम कथा के पहले दिन गुरु महिमा की कथा प्रसंग का वर्णन हुआ। संत मुरलीधर ने कहा कि रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने गुरु के चरण रज की वंदना की है और उसके माध्यम से यह बतलाया है कि गुरु का चरण रज भी कितना पवित्र और श्रेष्ठ है । संसार रूपी इस भवसागर से यदि कोई पार लगा सकता है तो वह एक सद्गुरु ही है। गुरु के बताए मार्ग पर चलकर शिष्य परम पद को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि आजकल व्यक्ति जैसा गुरु करते हैं वैसा करने में लग जाते है जबकि गुरु जैसा कहते हैं वैसा करना नही चाहते। उन्होंने यह भी कहा कि काशी में रामकथा कहना ईश्वरीय कृपा के समान ही है और उससे भी ज्यादा यहां कथा श्रवण करना सौभाग्य का विषय है। धर्म सम्राट की तपोस्थली यह धर्मसंघ की भूमि से रामकथा समाज मे प्रेम, करुणा और मानवता की भावना को जागृत करेगी और सनातन धर्म के प्रति सबको एकजुट करने का प्रयास करेगी।
इससे पूर्व कथा का श्रीगणेश धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज, भागवताचार्य श्री रामगोपालनन्द जी महाराज, कथा व्यास संत श्री मुरलीधर जी महाराज एवं पंडित जगजीतन पाण्डेय ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। उसके बाद वैदिक ब्राह्मणों द्वारा स्वस्तिवाचन एवं मंगलाचरण सम्पन्न किया गया। इसके पश्चात यजमानों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा का शुभारंभ किया गया। प्रथम दिवस के अन्य प्रसंगों में रामकथा के महत्व, राम नाम की महिमा, रामकथा की विशेषताओं का वर्णन संत मुरलीधर द्वारा किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आए संत प्रतिनिधि, बटुक एवं श्रद्धालु धर्मसंघ पहुंचे हैं। कथा में मुख्य रूप से विजय मोदी, दीपक अग्रवाल, सुमित सर्राफ, राजमंगल पांडे आदि उपस्थित रहे।