अनुभवहीन बड़केबाबुओ की जागीर पार्ट 3,बड़केबाबुओ के तुगलकी फरमान से डिस्काम पहुचा डायलिसिस पर
वाराणसी 20 फरवरी : हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र और प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जनपद का मुख्यालय पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम इन दिनों मुख्य मंत्री के चहेते भातीय प्रशासनिक सेवा के अनुभवहीन बड़केबाबुओ के तुगलकी फरमान से अपनी बदहाली के आँसू बहता नजर आ रहा है चुनाव का दौर चल रहा है देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री इसी विभाग द्वारा आपूर्ति होने वाली बिजली की चकाचौध रोशनी के चलते अपने किये गए विकास के दावे कर रहे हैं और विपक्ष के नेता चुनाव में मतदाताओं को रिझाने की नीयत से उपभोक्ताओं एवं किसानों को फ्री बिजली देने का दावा पेश कर रहे हैं परन्तु वर्तमान समय में पूर्वांचल को बिजली आपूर्ति करने वाले डिस्कॉम मुख्यालय कंगाली के उस दौर से गुजर रहा है कि अगर यही हालत रहे तो पूर्वांचल में इस उद्योग से जुड़े कर्मचारी अधिकारी संविदाकर्मी आंदोलन के रास्ते पर उतरने को मजबूर होंगे वर्तमान सरकार के देश का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय से विगत कई माह से प्रबंधनिदेशक की कुर्सी खाली पड़ी है जिन बडका बाबू महोदय की नियुक्ति यह पर हुई थी वो तो अधिकांश छुट्टी पर रहते कुछ य पश्चात उनकी जगह उक्त जिम्मेदारी केस्को मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबू को देदी गयी कोढ मे खाज की स्थिती शक्तिभवन में बैठे अवैध रूप से नियुक्त सबसे बड़केबाबू ने कर दी पूर्वांचल को इस कदर उपेक्षित करना कही कोई सोची समझी साजिश का हिस्सा तो नही कि पूर्वांचल डिस्कॉम डायलिसिस जैसे हालात पर आ खड़ा हुवा है।
डिस्कॉम के सुरक्षाकर्मी, संविदाकर्मी,ड्राइवर, कम्पियुटर ऑपरेटरों वेतन न मिलने से भुखमरी की कगार पर पहुचे
जिस प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा संविदाकर्मियों को समय से वेतन देने के आदेश की हवा निकलते UPPCL में बैठे भारतीय प्रशासनिक सेवा के बड़केबाबू साफ तौर पर देखे जा सकते है हालत यह है कि विभाग की सुरक्षा में लगे भूतपूर्व सैनिक के जवानों को तीन माह से वेतन नहीं मिलने के कारण वह भुखमरी के कगार पर है और यही हालत संविदाकर्मियों एवं निविदा कर्मियों के है मौजूदा वक्त में लम्बे समय से प्रबंधनिदेशक की गैर मौजूदगी में इनका दर्द सुनने वाला कोई नही । सूत्र बताते हैं कि इनके भुगतान की फाइलें प्रबन्धन द्वारा बनती तो है परन्तु कानपुर और लखनऊ के बड़केबाबुओ के टेबल से बगैर किसी नतीजे पर पहुचे बिना घूमती हुई वापस आ जाती है जरा कोई इन बडका बाबूओ से पूछे कि जिन गाडीयो पर लद कर अधिकारीगण वाराणसी से लखनऊ और कानपुर के बीच चक्कर लगा रहे है क्या उन गाडियो द्वारा जो डीजल पैट्रोल खर्च हो रहा है उसकी भरपाई क्या यह अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू जी अपने वेतन से करेगे क्या ? इसी बीच सूत्र बताते है कि शक्तिभवन मुख्यालय से विभाग में काम करने वाली निजी कंपनियों के भुगतान की फाइले शक्तिभवन मे बैठे बड़केबाबू के अनुमोदन पर बगैर रोक टोक के गुपचुप तरीके से भुगतान कर दी जाती है आखिर विभाग को चलाने वाले सुरक्षाकर्मी, संविदाकर्मी, निविडकर्मी, छोटी कार्यदायी कम्पनियों के भुगतान समय से न देना एक बड़े भ्रष्टाचार नही तो क्या है लेकिन बिल्ली के गले मे धण्टी बाधे कौन ईमानदारी की चादर ओढे बडका बाबू के चारो तरफ लूट की छूट मिली हुई देखने से तो ऐसा ही पता चलता है वैसे पर्दे के पीछे के खेल का खुलासा शीघ्र होगा । खैर
युद्ध अभी शेष है