पूर्वांचल

काशी में हुए पापों का शमन करती है पंचकोशी यात्रा – आचार्य भरत पाण्डेय

वाराणसी 18 मार्च :धर्मसंघ स्थित मणि मंदिर (दुर्गाकुण्ड) के चतुर्थ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर चल रही पंचकोशी यात्रा के चौथे दिन यात्रा शिवपुर स्थित पाँचो पंडवा मंदिर पहुंची, जहाँ धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया गया। इसके पूर्व प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं का जत्था जंसा स्थित रामेश्वर तीर्थ से वरुणा जल में स्नान ध्यान के साथ अगले पड़ाव के लिए निकला। धर्मसंघ पीठाधीश्वर के नेतृत्व में सैकड़ो श्रद्धालु भगवन नाम संकीर्तन करते हुए शिवपुर की और बढ़ते रहे। यात्रा में शामिल बटुक हाथों में धर्म ध्वजा लिए जयकारा लगाते हुए चल रहे थे। पाँचो पंडवा स्थित हनुमान धर्मशाला पहुँच यात्रा विश्राम ली।
सायंकाल श्री शिवमहापुराण कथा श्रवण कराते हुए वृंदावन से आये कथा व्यास आचार्य भरत पाण्डेय ने कथाक्रम में पंचकोशी परिक्रमा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा की
अन्य किसी क्षेत्र में किया गया पाप पुण्य क्षेत्र में आने से नष्ट हो जाता है। वैसे ही पुण्य क्षेत्र में किया गया पाप काशी में आने के बाद नष्ट हो जाता है और काशी में किया गया पाप पंचकोशी परिक्रमा से ही नष्ट होता है। उन्होंने कहा की जब कई जन्मों के पुण्य सार्थक होते है तब काशी की यह पवित्र पंचकोशी यात्रा का सौभाग्य प्राप्त होता है।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि श्री विशेश्वर का दर्शन पूजन अर्चन वंदन करने से आदि दैविक, आदि भौतिक, आदि आध्यात्मिक तीनों तापों का समन होता है और कैवल्य पद की प्राप्ति होती है ।इनकी स्तुति करने से सभी देवी देवता एवं राजा महाराजा संत महंत सभी लोग संतुष्ट होते हैं अर्थात प्रसन्न होते हैं और सभी भक्तों का मनोकामना पूर्ण करते है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से धर्मसंघ महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय, बलदेव शर्मा, वीरभान अरोड़ा, रमेश गुप्ता, मनोहर लाल अरोड़ा, राज कुमार महाजन, राजमंगल पाण्डेय सहित सैकड़ों भक्त शामिल रहे।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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