एक झलक

क्या होता है पंच ग्रास इसका निकाला जाना क्यों होता है आवश्यक

17सितंबर 2022
सनातन धर्म में श्राद्ध कर्म या पितृ पक्ष की एक अलग ही महत्ता है शास्त्रों के अनुसार अश्विन मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाया जाता है ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितृ, पितृलोक से मृत्युलोक पर अपने वंशजों से सूक्ष्म रूप में मिलने के लिए आते हैं इस अवसर पर हम उनके सम्मान में अपनी सामर्थ्यनुसार उनका स्वागत व मान-सम्मान करते हैं।

गरुड़ पुराण में पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय पंच ग्रास निकालने के विधान का विस्तार से वर्णन किया गया है।

पितृ पक्ष में परिजन जब पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं तो ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले पंच ग्रास भोजन निकाला जाता है पंच ग्रास के तहत, श्राद्ध के दिन बने भोजन को पांच पत्तलों पर निकालकर, पांच स्थानों पर रखते हैं यह पंच ग्रास भोजन गाय, चींटी, कौए, देवता और कुत्ते को खिलाया जाता है।

पंच ग्रास का महत्व और लाभ

श्राद्ध पक्ष में पंच ग्रास का विशेष महत्व बताया गया है पंच ग्रास भोजन निकालने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में रोजाना पंच ग्रास भोजन निकालना चाहिए यदि आप ऐसा रोज नहीं कर पा रहे हैं, तो उस दिन पंच ग्रास भोजन अवश्य निकालें जिस दिन पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन करा रहे हों इस दिन भोजन को 5 पत्तलों में निकालकर मंत्रों के साथ संकल्प लें शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद होता है इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन और तर्पण करना चाहिए।

पंच ग्रास निकालने के नियम
शास्त्रों के अनुसार पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है इसे गो बलि कहते हैं दूसरा ग्रास कुत्तों के लिए निकाला जाता है जिसे श्वान बलि कहते हैं तीसरा कौवे के लिए निकाला जाता है जिसे काक बलि कहते हैं चौथा देवताओं के लिए निकाला जाता है जिसे देव बलि कहते हैं इसे देवताओं के नाम पर जल में प्रवाहित कर देना चाहिए पांचवां और अंतिम ग्रास चींटियों के लिए होता है जिसे पिपीलिका बलि कहते हैं।

श्राद्ध के दौरान पंच ग्रास निकालने की विधि को बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं पवित्र माना गया है और यह विधि सदियों से चली आ रही है माना जाता है कि अगर आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध, पूरे विधि-विधान से करते हैं तो उनकी आत्मा को शांति तो मिलती ही है साथ ही उनका आशीर्वाद भी सदैव आपके साथ बना रहता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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