एक झलक
भगवान केवल क्रिया से भेद करते हैं भाव से नहीं ईश्वर का एक ही उद्देश्य होता है और वह है जीव का कल्याण
21मार्च2022
जिस प्रकार एक वैद्य के द्वारा दो अलगअलग रोग के रोगियों को अलग अलग दवा दी जाती है।
किसी को मीठी तो किसी को अत्यधिक कड़वी दवा दी जाती है लेकिन दोनों के साथ भिन्न भिन्न व्यवहार किये जाने के बावजूद भी उसका उद्देश्य एक ही होता है रोगी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना।
ठीक इसी प्रकार उस ईश्वर द्वारा भी भले ही देखने में भिन्न भिन्न लोगों के साथ भिन्न भिन्न व्यवहार नजर आये मगर उसका भी केवल एक ही उद्देश्य होता है और वह है कैसे भी हो मगर जीव का कल्याण करना।
सुदामा को अति दरिद्र बनाकर तारा,तो राजा बलि को सम्राट बनाकर तारा, शुकदेव जी को परम ज्ञानी बनाकर तारा,विदुर जी को प्रेमी बना कर तारा ,पांडवों को मित्र बना कर तारा व कौरवों को शत्रु बनाकर स्मरण रहे, भगवान केवल क्रिया से भेद करते हैं भाव से नहीं।