मजदूर की बेटी बनी IAS, इंटरव्यू में शामिल होने के लिए नहीं था पैसा, मांगना पड़ा चंदा
20 सितंबर 2023
मजदूर की बेटी के अफसर बनने की कहानी, चंदे के पैसों से इंटरव्यू में हुईं थीं शामिल : एक आदिवासी लड़की ने अपने कड़े परिश्रम और लगन से कई सारे इतिहास रच दिए। एक गरीब लड़की, जिसने अपने हालातों, आर्थिक परिस्थितियों से हार न मानी और अपने सपनों को पूरा किया। राह में कठिनाई कम न थी, आर्थिक परिस्थिति के अलावा सामाजिक पिछड़ापन भी झेल रही इस होनहार लड़की के कदमों को कुछ भी डगमगा नहीं सका। ये कहानी है श्रीधन्या सुरेश की, जो केरल की पहली आदिवासी आईएएस महिला हैं।
मजदूर की बेटी बनी IAS, इंटरव्यू में शामिल होने के लिए नहीं था पैसा, मांगना पड़ा चंदा
श्रीधन्या सुरेश केरल के वायनाड जिले के छोटे से गांव पोजुथाना की रहने वाली हैं। वायनाड केरल का सबसे पिछड़ा जिला है। श्रीधन्या कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। उनके परिवार में माता पिता के अलावा तीन भाई बहन है। श्रीधन्या के पिता दिहाड़ी मजदूर थे। इसके अलावा परिवार का पालन पोषण करने के लिए गांव के बाजार में धनुष तीर बेचते थे। वहीं मां भी मनरेगा के तहत काम करती थीं। श्रीधन्या और उनके भाई बहनों का पालन पोषण बुनियादी सुविधाओं के अभाव में हुआ।
भले ही श्रीधन्या के पिता की आमदनी अधिक नहीं थी, लेकिन उन्होंने बेटी की पढ़ाई में कोई रुकावट न आने दी। गरीबी और जरूरत की चीजों के अभाव के बीच श्रीधन्या ने पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा वायनाड में की। बाद में कालीकट विश्वविद्यालय से एप्लाइड जूलॉजी में परास्नातक की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीधन्या ने केरल में अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया। इसके अलावा वायनाड में आदिवासी हॉस्टल की वार्डन का भी चार्ज संभाला। इस दौरान उनकी मुलाकात एक बार आईएएस श्रीराम सांबा शिवराव से हुई। श्रीधन्या के लिए एक आईएएस से मिलना, उनके भविष्य के लिए राह मिलने जैसा था। श्रीधन्या को कॉलेज के दिनों से प्रशासनिक सेवा में रुचि थी लेकिन उस समय उनका सही मार्गदर्शन न हो सका लेकिन आईएएस श्रीराम सांबा शिवराव ने उन्हें सिविल सेवा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और कई सारी जानकारियां दीं।
यही से आईएएस बनने की मिली राह
श्रीधन्या ने आईएएस बनने की ठान ली और पढ़ाई शुरू कर दी। इसके लिए शुरुआत में उन्होंने ट्राइबल वेलफेयर के सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र द्वारा चलाई जा रही कोचिंग ज्वाइन की। बाद में तिरुवनंतपुरम में जाकर पढ़ाई की। उनकी पढ़ाई के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने वित्तीय सहायता भी दी।
श्रीधन्या सुरेश अपने पहले प्रयास में सफल न हो सकीं। उन्होंने अधिक तैयारी के साथ दोबारा कोशिश की लेकिन यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर नहीं कर पाईं। इसके बाद भी श्रीधन्या ने हार नहीं मानी। कड़ी मेहनत और परिश्रम से तीसरे प्रयास में साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा को श्रीधन्या ने पास कर लिया। उनकी ऑल इंडिया रैंक 410 रही। इंटरव्यू की लिस्ट में नाम आ गया।
इंटरव्यू में जाने के लिए दोस्तों ने चंदा मिलाकर दिए पैसे
श्रीधन्या ने यूपीएससी की लिखित परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन साक्षात्कार के लिए उन्हें दिल्ली जाना था। उस वक्त श्रीधन्या और उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि दिल्ली भेज सकें। हालांकि श्रीधन्या के दोस्तों को जब इस बात की जानकारी हुई तो सभी ने चंदा मिलाकर 40 हजार रुपये एकत्र किए और श्रीधन्या को दिल्ली भेजा। परिवार और दोस्तों की उम्मीदों पर श्रीधन्या खरी उतरी और इंटरव्यू पास करके केरल की पहली आदिवासी अफसर बन गईं।