19 नवम्बर 1835 – झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई की जन्म जयंती पर कोटि कोटि नमन
19नवम्बर 2023
अंग्रेजों के प्रबल सेनापति जनरल ह्यूरोज को सपने में भी लक्ष्मीबाई का पराक्रम दिखता था। उसके उद्गार थे -” लक्ष्मीबाई विद्रोहियों में सर्वाधिक वीर और सर्वश्रेष्ठ दर्जे की सेनानी थीं।” वीर सावरकर ने लिखा – “1857 में मातृभूमि के हृदय में जो ज्योति प्रज्वलित हुई, उसने आगे चलकर विस्फोट कर दिया, सारा देश बारूद का भंडार बन गया,हर ओर संघर्ष और युद्ध का तांडव होने लगा।यह ज्वालामुखी का विस्फोट था किंतु बाबा गंगादास की कुटिया के पास 18 जून 1858 को जली चिता की ज्वाला 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के ज्वालामुखी से निकली सबसे तेजस्वी ज्वाला थी।”
कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” एक कालजयी रचना है। बुंदेलखंड में प्रचलित लोकगीत की कुछ पंक्तियां – ” ख़ूबई लड़ी रे मर्दानी, ख़ूबई जूझी रे मर्दानी बा तो झांसी वारी रानी। अपने सिपहियन को लड्डू खबावें , आपई पियें ठंडा पानी बा तो झांसी वारी रानी”
भारतीय स्वातन्त्र्य समर का 1857 का इतिहास लक्ष्मीबाई की अमरगाथा के बिना लिखा ही नही जा सकता है। ऐसी वीरांगना के चरणों में श्रद्धा सुमन,