योगी कैबिनेट ने जैव ऊर्जा नीति को दी मंजूरी, 2002 से लेकर 2017 तक की सभी रजिस्ट्रयों का होगा डिजिटलीकरण
लखनऊ, 28 सितंबर:– योगी कैबिनेट ने जैव ऊर्जा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही एमएसएमई नीति को भी मंजूर कर लिया गया है। मंगलवार को लोक भवन में योगी कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें 20 प्रस्तावों पर कैबिनेट की मुहर लगी है। कैबिनेट ने मुजफ्फरनगर और गोंडा की कटरा बाजार नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार को भी हरी झंडी दे दी है। राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन होगा। केंद्र की नीति आयोग की तर्ज पर स्टेट ट्रांसफ़ॉरमेशन कमीशन बनेगा, मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने बैठक में हुए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जैव ऊर्जा नीति मंजूर कर ली गई है। पांच साल की इस नीति में सब्सिडी देंगे। सरकार सभी जिलों में बायो फ्यूल प्लांट लगाने के लिये आवेदन मांगेगी। तीस साल के लिये एक रुपये की लीज पर जमीन दी जाएगी। स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
मंत्री अरविंद शर्मा ने बताया कि ऊर्जा विभाग के अंतर्गत जैव ऊर्जा के संबंध में एक विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इसके अंतर्गत पराली जलाने अर्बन समस्या का समाधान होगा। वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। जैव अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। इसके तहत 5 वर्ष में होने वाली जैव ऊर्जा परियोजना के अंतर्गत बायोगैस बायोकॉन बायोडाटा भारत सरकार की उत्पादन योजना पर इंसेंटिव दिया जाएगा। वहीं, एमएसएमई नीति के तहत ग्राम सभाओं की जमीन लेकर एमएसएमई यूनिट लगेंगी। एक्सप्रेस वे के पांच किलोमीटर में 5 एकड़ जमीन पर एमएसएमई क्लस्टर बनेगा। राज्य सरकार ने अयोध्या में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के लिए 10 एकड़ नजूल भूमि नगर विकास विभाग को मुफ्त देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। राज्य सरकार अयोध्या को धार्मिक नगरी के रूप में विकसित करा रही है। श्रीराम मंदिर बनने के बाद यहां आने वालों की संख्या में भारी इजाफा होगा। इसीलिए सीवर की बेहतर व्यवस्था करने के लिए एसटीपी का निर्माण किया जाना है।
अयोध्या नगर निगम को एसटीपी निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। नगर विकास विभाग ने इसके लिए आवास विभाग से मुफ्त में जमीन देने का अनुरोध किया था। आवास विभाग ने इसके आधार पर ग्राम मांझा जमथरा में नमामि गंगे कार्यक्रम मे तहत एसटीपी लगाने के लिए मुफ्त में जमीन देने का प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूरी के लिए भेजा था। राज्य सरकार साल 2002 से लेकर 2017 तक की सभी रजिस्ट्रयों का डिजिटलीकरण कराने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के प्रावधानों के अधीन प्रदेश के सभी उपनिबंधक कार्यालयों में साल 2002 से 2017 की अवधि में पंजीकृत लेखपत्रों का स्कैनिंग, इंडैक्सिंग और अपलोडिंग यानी सभी तरह के अभिलेखों का डिजिटलीकरण कराया जाएगा। यह काम एक साल में पूरा किया जाएगा। इससे स्टांप एवं निबंधक विभाग को हर साल राजस्व आय में करीब 40 से 50 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके साथ ही इनके निरीक्षण, सत्यापित प्रतियां प्राप्त करने और अभिलेखों को सुरक्षित रखने में सहायता भी मिलेगी। एक तरह से देखा जाए तो यह नवाचार भी है और इससे रोजगार भी मिलेगा।