एक झलक

लोकतंत्र में अ’न्याय’ की नई परिभाषाः मेडल लाने वाले पहलवानों पर कानूनी चाबुक

दिल्ली29 मई :जंतर-मंतर में लगभग एक महीने से अधिक समय से महिला पहलवान न्याय की गुहार लगाते धरने पर बैठी हैं. लेकिन पुलिस यौन शोषण के आरोपी बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय देश का नाम रौशन करने वाली बेटियों पर ही जुल्म ढाती नजर आई. दरअसल पहलवान जंतर-मंतर से नए संसद भवन की ओर मार्च कर रहे थे. इसी दौरान दिल्ली पुलिस ने मेडल लाने वाली बेटियों पर जोर आजमाइश की. इतना ही नहीं न्याय की गुहार लगाने वाली बेटियों पर कथित पुलिसिया सिस्टम ने कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दिया गया है, जिस पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी से 700 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. जबकि, जंतर-मंतर पर धरना दे रहे 109 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें ये तीन पहलवान भी शामिल थे. हालांकि, शाम को महिला प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया गया.

2 एफआईआर कार्रवाई नहीं

पहलवान 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे थे. पहलवानों ने बृजभूषण पर नाबालिग समेत कई महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है. इस मामले में बृजभूषण पर भी दो एफआईआर दर्ज कराई है. इसके बाद भी बृजभूषण शरण खुले में घूमता नजर आ रहा है. अब सवाल ये उठने लगा है कि, आखिर सासंद पर सिस्टम इतना मेहरबान क्यों है ?

दिल्ली पुलिस ने पहलवानों और प्रदर्शनकारियों पर प्रिवेन्शन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 के तहत भी केस दर्ज किया है. इस धारा के तहत अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की जेल और जुर्माने की सजा होगी.

धारा 149: बलवे के दौरान उसमें जो लोग शामिल होंगे, वो सभी समान अपराध के दोषी होंगे. इसे ऐसे समझिए कि बलवा करते समय जो भी अपराध होगा, उसका दोष उसमें शामिल सभी लोगों पर लगेगा, फिर चाहे वो उन्होंने किया हो या नहीं.

धारा 332: अगर कोई व्यक्ति सरकारी सेवक को काम करने से डराने या धमकाने का दोषी पाया जाता है तो तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

धारा 353: किसी सरकारी सेवक को डराने-धमकाने के मकसद से जानबूझकर हमला करने का दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

धारा 188: सरकारी आदेश का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

धारा 186: अगर किसी सरकारी अफसर या कर्मचारी के काम में जानबूझकर बाधा डालता है तो तीन महीने की जेल या 500 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

धारा 147: अगर कोई व्यक्ति बलवा करने का दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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