वाह रे पावर कार्पोरेशन,महाराष्ट्र मे हुई निजीकरण के विरोध मे हडताल और उत्तर प्रदेश मे समझौता लागु हुए बिना हो रही गुलदस्तेबाजी
लखनऊ 04जनवरी :सर्वप्रथम सभी पाठको को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐ और बधाई ।
आज लखनऊ मे ठंड अपने चरम पर थी सुबह से सूर्य देवता के दर्शन ही नही हुए इसी ठंड मे जहाँ लोग अपने अपने घरो मे दुबके हुए थे और वही हम निकल पडे इस ठंड का मजा लेने घूमते हुए पहचे शक्तिभवन जहाँ आज सप्तम तल पर अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और प्रबंधनिदेशक पावर कार्पोरेशन को बघाई देने वालो का तता लगा हुआ था लगभग सभी मेसे से प्रचलित थे और हर नेता अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन से मिलने के लिए लाईन लगाए हुए था और दूसरी तरफ हम पत्रकारो की नजर से बचने की कोशिश करता भी दिख रहा था क्यो कि हमारे सवाल तीखे होते है तो बच कर निकल लो अगर मिल गये तो खिसियानी हसी हस कर नव वर्ष की बधाई दे कर निकल जाते थे यही हालत मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय के भी थे खोर इस मेल मुलाकात मे कुछ नेताओ से चर्चा हुई कि आज समझौते को एक माह होगया परन्तु अब तक सरकार ने आपकी कोई मागे नही मानी और आप लोग इन अवैध रूप से नियुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीगणो को बधाई देते हुए फोटो खिचवा रहे है इसका क्या मतलब मेरे इस प्रश्न पर बोले यह तो औपचारिकता है तो मेरा दूसरा प्रश्न कि आप मे से अधिकांश तो सेवानिवृत्त हो चुके है आप से इनका क्या लेना देना तो नेता जी बिना मेरी बात का जवाब दिये प्रबंधनिदेशक पारेषण से मिलने आगे बढ गये ।
एक बात मेरे समझ के परे है कि एक तरफ आप इतना विरोध प्रदर्शन कर रहे है मंत्री को मेमोरेंडम आफ आर्टिकल लागू कराने के लिए जोर दे रहे है वही दूसरी तरफ उन्ही बडका बाबूओ को आप लोग लाईन लगा कर नव वर्ष की बधाई और गुलदस्ते दे रहे हो यह दोहरा चरित्र किस लिए। क्या आप लोग अपने उन साथियो को धोखा नही देरहे जो अपनी नौकरियो को दाव पर लगा कर आपके साथ कन्धे से कन्धा मिला कर कार्यबहिष्कार मे आपके केसाथ पूरे प्रदेश मे हर जगह खडे थे क्या यह उनके विश्वास को तोडना नही हुआ क्या इसे विश्वास घात नही कहेगे और तुर्रा यह कि बडकऊ को फूलो का गुलदस्ता भेट कर जनाब फोटो खिचवा कर विभागीय वाटसेप ग्रुपो मे अपना जलवा दिखा रहे है किसी भी नेता को शायद इससे कोई भी फर्क नही पडता है कि कल तक इन्ही अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए गये और आज समझौता होने के उपरांत उसको लागू ना होना बल्कि अपने साथियो को सही वस्तुस्थिती से अवगत ही ना करा कर उनका हौसला बढाने के लिए यह बोलना कि बस यह काम होने वाला है थोडा धैर रखो और जब भी अवसर मिला पहुच जाना बडका बाबूओ को मख्खन लगान यही नही चाहे पूर्वांचल हो पश्चिमाचल केस्को या दक्षिणाचल सभी जगह यह दोहरा चरित्र आखिर क्यो अपनाया जा रहा है पूर्वांचल का हाल लिया तो वहाँ पर भी दो दिनो से खूब गुलदस्तेबाजी हो रही है हर छोटा बडा नेता लगा हुआ है अपना चेहरा दिखाने मे वैसे विभागीय मंत्री जी के साथ कोई फोटो नही आयी किसी भी नेता की आखिरकार इसकी वजह क्या है क्या इन नेताओ ने यह मान लिया कि समझौता लागू नही होगा या मंत्री समझौते को लागू करने मे असमर्थ है इस लिए बडका बाबूओ के दरबार मे हाजिरी लगाने का यह अवसर क्यो हाथ से जाने दिया जाए इस लिए लाईन लगा कर हो रहो है गुलदस्ते बाजी । खैर
युद्ध अभी शेष है