विद्युत विभाग:बे-पटरी व्यवस्था से हुई किरकिरी के बाद शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन मैदान में: 27 जिलों में तैनात हुए नोडल अधिकारी: 27 में कई सिविल इकाई के तो कइयों को फील्ड का अनुभव नही
वाराणसी/लखनऊ 20 जून: भीषण गर्मी के बीच निर्बाध विद्युत आपूर्ति औऱ ट्रिपिंग विहीन बिजली आपूर्ति की हवा निकलने से औऱ मुख्यमंत्री की नाराज़गी के से प्रदेश की बेपटरी हुई बिजली व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव , UPPCL के प्रबंध निदेशक सहित आला ऑफिसर फील्ड में उतर गए है। ये ऑफिसर जिलों में बिजली व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों की निगरानी करेंगे औऱ रिपोर्ट तैयार करेंगे।
यूपीपीसीएल मुख्यालय शक्ति भवन में तैनात 27 अफसरों को 19 से 21 जून तक जिलों के दौरे पर रहेंगे।
अनुभवहीन नोडल ऑफिसरों की तैनाती भी सवालों के घेरे में
मुख्यमंत्री की शक्ति के बाद ऊर्जा विभाग के शीर्ष प्रबंध के हरकत में आने पर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर नजर रखने के लिए भारी भरकम फौज मैदान में उतरे अधिकारियों की काबिलियत पर भी विभाग में चर्चा है। इन 27 अधिकारियों में बहुत सारे अपने सेवाकाल में कभी भी फील्ड में तैनात नही रहे एवं कई अधिकारी तो सिविल इकाई के है जो तकनीकी ज्ञान से परे है जिनको निम्न व्यवस्था की देख-रेख करनी है।
#विद्युत आपूर्ति, क्षतिग्रस्त पावर एवं वितरण प्रवर्तकों की स्थिति देखेंगे अफसर
#वर्कशॉप में वितरण प्रवर्तक स्टोर में सामग्री उपलब्धता भी होगी चेक
#विद्युत आपूर्ति समेत कई चीजों पर करेंगे मंथन
22 जून को UPPCL मुख्यालय में देंगे अपनी जांच रिपोर्ट।
उल्लेखनीय है की मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद ऊर्जा प्रबंधन ने सभी जोनों को 1-1 करोड़ रुपया आवंटित किया है।
दावे के बीच बिजली कटौती से हाहाकार
सरकारी दावा है कि बिजली खपत के अनुसार बिजली उपलब्ध है इसके बाद भी लखनऊ समेत प्रदेश बिजली कटौती की मार झेल रहा है कटौती के चलते शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक लोग परेशान हैं कही पानी का संकट है तो कंही उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे है ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे विद्युत आपूर्ति का दावा 18 घंटे है पर बमुश्किल 8 से 10 घंटे बिजली मिल रही है।
अभियन्ता संध ने ऊर्जामंत्री को समस्या के कारणों से कराया अवगत
प्रदेश की बिजली व्यवस्था की जर्जर हालातो के कारणों से अभियन्ता संध ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिख कर अवगत कराया है कि विधिवत नियोजन न होने से वितरण नेटवर्क की हालत बिगड़ी है। जिसकी वज़ह से प्रदेश की आज ये हालत हो गई है।
इंजीनियरो ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्ष-2012 तक 12788949 उपभोक्ता थे तब उपभोक्ताओ पर स्वीकृत भर 33448 मेगावाट था,वर्तमान में बिल के अनुसार 3.29 करोड़ उपभोक्ता है जिनसे स्वीकृत भर 76882 मेगावाट हो गया है। पिछले 10 वर्षों में उपभोक्ता 3 गुना औऱ स्वीकृत भर 2 गुना बढ़ गया है। अभियन्ता सीमित संसाधनों में दिन-रात काम कर रहे है नियोजन न होने से वितरण नेटवर्क की हालत जर्जर होने से परेशानी बड़ी है जिसका मुख्य कारण सभी प्रकार के काम का केन्द्रीकरण होना है