विद्युत विभाग:हाय रे उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन:दिखती अनुभवहीनता औऱ मनमानी:अजब राज की गजब कहानी: मरता अभियन्ता औऱ बिजलीकर्मचारी
लखनऊ 24जून:उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन जो आज कल कृषि विशेषज्ञ चला रहे है तो उनके राज की बात की जाए । तो कुछ दिनो से गर्मी बहुत पड रही है और इस गर्मी के कारण रोजाना कही कही ना कही फाल्ट आ ही जाता है और ट्रान्सफार्म मे आग लगने की घटनाए देखने को मिल रही है
समय का उपभोक्ता राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार ने इसकी पडताल करनी शुरू की । कई दिनो की छानबीन करने के बाद जो खामी निकल के आयी उसके जन्मदाता श्री श्री सबसे बडे वाले बडकऊ निकले छोटी छोटी बातो पर लोगो को नौकरी से बर्खास्त करने वाले यह महाशय अपनी गलतियो की सजा अब अभियन्ताओ और अन्य कर्मचारियो को देने की तैयारी मे लगे हुए है जो ट्रान्सफार्मर रोज जल रहे है और रोज उनका अनुरक्षण हो रहा है।
समय से शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन ने नही खोली निविदा
छान बीन आगे बढी तो पता लगा कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सबसे बडे बडकाऊ ने निविदाऐ खोलने और ट्रान्सफार्मर खरीदने मे इतनी देरी कर दी कि ट्रान्सफार्मर बनाने वाली कम्पनी ने ही टेण्डर मिलने के बाद भी यह कह कर आपूर्ती करने से इनकार कर दिया कि निविदा देर से खुलने के कारण हमने अन्य जगहो के आर्डर ले लिए है और अब हम आपको ट्रान्सफार्मरो की आपूर्ती नही कर पाएगे इस बात का प्रमाण समय का उपभोक्ता राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र के पास मौजूद है जब यह साक्ष्य सामने आए तो पता चला कि महीनो बीत जाने के बाद भी निविदाओ पर निर्णय बडकऊ नही ले पाते कहने को तो बोर्ड आफ डायरेक्टर इस निविदाओ पर निर्माण लेते है परन्तु परिस्थितियो को देखते हुए किसी को लगता है कि बडकऊ के आगे किसी को बोलने की हिम्मत होगी जो विभागीय मंत्री और अपर मुख्य सचिव की ना सुनता हो मंत्री के द्वारा मीडिया के समक्ष दिये गये बयान व समझौते को ठोकर मारता हो तो क्या वो किसी निदेशक की सुनेगा क्या बोर्ड का कोई भी सदस्य इनके आगे कुछ भी बोल सकेगा अनुभवी अभियन्ता तो इनके सामने आने से या फील्ड की पोस्टिग लेने से भी घबरा रहे है ऊपर से ट्रान्सफर पोस्टिग अरे भाई यह गर्मियो का समय है क्या जरूरी है इस समय ट्रान्सफर करना पाठक खुद ही सोचे इस गर्मी मे एक अभियन्ता के हाथ मे नया चार्ज आ जाएगा तो जब तक वह सिस्टम को समझेगा तब तक तो यह महाशय उसकी नौकरी ही खा चुके होगे इसी लिए इन बडका बाबूओ को हम अनुभवहीन कहते है आज फिर इनके लिए गय निर्णय के कारण अभियन्ताओ से ले कर सारे कर्मचारी परेशान होने वाले है आज एक चर्चा और सुनी कि रीवैम्प मे काम करने वाली सस्था द्वारा जो बिल दिया गया है वो अगर दस दिनो मे नही पास होगा तो 1:5% की भरपाई अधिकारियो और कर्मचारियो को अपनी जेब से करनी पडेगी । यही बडकऊ ने किसी को नही बख्शा अपनी अनुभवहीनता हर जगह दिखाई लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि बिल्ली के गले मे घण्टी बाधे कौन इस भ्रष्टाचार को उजागर करे कौन ???????? खैर
युद्ध अभी शेष है